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रांची: 'बोले मजदूर अभियान' का शुभारंभ, मनरेगा मजदूरों को संगठित करने का अनूठा प्रयास

रांची में मनरेगा मजदूरों को एक मंच पर लाकर संगठित करने के उद्देश्य से 'बोले मजदूर अभियान' की शुरुआत की गई है. इस मंच की मॉनिटरिंग खुद मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी ने की. माना जा रहा है कि मनरेगा मजदूरों को सक्रिय करने का यह एक अनूठा प्रयास है. इस अभियान के तहत मनरेगा आयुक्त ने कई मजदूरों से बातचीत भी की है.

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Published : Aug 8, 2020, 10:44 PM IST

'Bole Mazdoor Abhiyan' started in Ranchi to organize MNREGA workers
मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी (फाइल)

रांची:राजधानी में मनरेगा मजदूरों को एक मंच पर लाकर संगठित करने के उद्देश्य से 'बोले मजदूर अभियान' की शुरुआत की गई है. इस मंच की मॉनिटरिंग खुद मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी ने की. माना जा रहा है कि मनरेगा मजदूर मंचों को सक्रिय करने का यह एक अनूठा प्रयास है. इस अभियान के तहत मनरेगा आयुक्त ने कई मजदूरों से बातचीत भी की है.

मजदूरों को फायदा पहुंचाने की कोशिश

महात्मा गांधी राष्टीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम में मजदूरों को रोजगार की गारंटी के साथ-साथ अन्य 10 अधिकार दिए गए हैं, जिसमें निबंधन और जॉब कार्ड पाने का अधिकार, काम मांगने और समय पर काम पाने का अधिकार, समय पर न्यूनतम मजदूरी पाने का अधिकार, काम न मिलने पर बेरोजगारी भत्ता पाने का अधिकार, समय पर मजदूरी न मिलने पर विलंब भत्ता पाने का आधिकार, कार्य स्थल पर सुविधा का अधिकार, चोट लगने पर इलाज और आधी मजदूरी पाने का अधिकार, दुर्घटना से मौत पर मुआवजे का अधिकार शामिल हैं. ऐसे ही और भी कई मामलों को लेकर इस अभियान में बल दिया जा रहा है और मजदूरों को हरसंभव फायदा पहुंचाने की कोशिश भी है.

मिले कई सुझाव

ग्रामीण विकास मंत्रालय के संचालक मार्गदर्शिका के अध्याय 16 में विस्तार से मनरेगा मजदूरों को मजदूर मंच के माध्यम से संगठित करने और उनकी इस से संबंधित योजनाओं के चयन, क्रियान्वयन और निगरानी की प्रक्रिया में भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए सुझाव दिए गए हैं. मनरेगा अधिनियम की अनुसूची 2 की धारा 28 में भी मजदूरों को उनके अधिकार दिलाने और हर प्रक्रिया में उनकी भागीदारी सुनिश्चित कराने के लिए उन्हें मजदूर मंच के रूप में संगठित और प्रोत्साहित करने का प्रावधान किया गया है.

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हुआ सामाजिक अंकेक्षण

इसी परिप्रेक्ष्य में झारखंड में सामाजिक अंकेक्षण की प्रक्रिया के दौरान मजदूर मंच के गठन की प्रक्रिया पूरी की गयी. साथ ही हर गांव से एक महिला और एक पुरुष मजदूरों को चिन्हित किया गया और उनकी मीटिंग कर पंचायत स्तर पर एक संयोजिका और संयोजक का चयन किया गया. वर्तमान में कुल 3 हजार 800 पंचायत स्तर के और 25 हजार 300 ग्राम स्तर के मजदूर मंच सक्रिय हैं, इन्हें भविष्य में प्रशिक्षित कर समवर्ती सामजिक अंकेक्षण करने, ग्राम निगरानी सदस्य के रूप में कार्य करने और रोजगार दिवस को प्रभावी करने की रणनीति बनायी गयी है.

काम के संबंध में मजदूरों को मिलती है जानकारी

इसी क्रम में सोशल ऑडिट यूनिट ने बताया कि मजदूर अभियान की शुरुआत की गई है, जिसके तहत मजदूरों से फोन से संपर्क कर उनके काम मांगने के अधिकार के संबंध में जानकारी दी जाती है और उनसे काम की मांग करने का आग्रह किया जा रहा है.

अभी तक कुल 1 लाख 58 हजार 600 मजदूरों ने इस प्रक्रिया के तहत काम की मांग की है. गिरिडीह में 16 हजार 300 और खूंटी में 860 मजदूरों ने काम की मांग की है. इसी के तहत मनरेगा आयुक्त ने शनिवार को बोले मजदूर अभियान से श्रमिकों से बात की, जिसमें रजनी बागे सिमडेगा से और सुभाष प्रधान चक्रधरपुर से मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी ने बात की. रजनी बागे ने कहा कि उसे आम का बगीचा भी मिला है और मिट्टी भराई का काम मिला है.

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