रांची:राजधानी में मनरेगा मजदूरों को एक मंच पर लाकर संगठित करने के उद्देश्य से 'बोले मजदूर अभियान' की शुरुआत की गई है. इस मंच की मॉनिटरिंग खुद मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी ने की. माना जा रहा है कि मनरेगा मजदूर मंचों को सक्रिय करने का यह एक अनूठा प्रयास है. इस अभियान के तहत मनरेगा आयुक्त ने कई मजदूरों से बातचीत भी की है.
मजदूरों को फायदा पहुंचाने की कोशिश
महात्मा गांधी राष्टीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम में मजदूरों को रोजगार की गारंटी के साथ-साथ अन्य 10 अधिकार दिए गए हैं, जिसमें निबंधन और जॉब कार्ड पाने का अधिकार, काम मांगने और समय पर काम पाने का अधिकार, समय पर न्यूनतम मजदूरी पाने का अधिकार, काम न मिलने पर बेरोजगारी भत्ता पाने का अधिकार, समय पर मजदूरी न मिलने पर विलंब भत्ता पाने का आधिकार, कार्य स्थल पर सुविधा का अधिकार, चोट लगने पर इलाज और आधी मजदूरी पाने का अधिकार, दुर्घटना से मौत पर मुआवजे का अधिकार शामिल हैं. ऐसे ही और भी कई मामलों को लेकर इस अभियान में बल दिया जा रहा है और मजदूरों को हरसंभव फायदा पहुंचाने की कोशिश भी है.
मिले कई सुझाव
ग्रामीण विकास मंत्रालय के संचालक मार्गदर्शिका के अध्याय 16 में विस्तार से मनरेगा मजदूरों को मजदूर मंच के माध्यम से संगठित करने और उनकी इस से संबंधित योजनाओं के चयन, क्रियान्वयन और निगरानी की प्रक्रिया में भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए सुझाव दिए गए हैं. मनरेगा अधिनियम की अनुसूची 2 की धारा 28 में भी मजदूरों को उनके अधिकार दिलाने और हर प्रक्रिया में उनकी भागीदारी सुनिश्चित कराने के लिए उन्हें मजदूर मंच के रूप में संगठित और प्रोत्साहित करने का प्रावधान किया गया है.