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4 राज्यों में जीत से झारखंड बीजेपी में फीलगुड, कांग्रेस से मिलने लगे खटपट के संकेत

यूपी समेत 4 राज्यों में बीजेपी की जीत का असर झारखंड में भी देखा जा रहा है. जीत से जहां झारखंड बीजेपी उत्साहित है वहीं सत्तारूढ़ कांग्रेस में खटपट शुरू हो गई है. विधायक इरफान अंसारी ने झारखंड में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए कदम उठाने की मांग की है.

BJP victory in four states has impact on politics of Jharkhand
झारखंड में सियासत तेज

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Published : Mar 11, 2022, 1:00 PM IST

Updated : Mar 11, 2022, 7:58 PM IST

रांची:यूपी सहित देश के चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा की ऐतिहासिक जीत का जश्न झारखंड विधानसभा में भी देखने को मिला. सदन के अंदर और बाहर हर हर महादेव और जयश्रीराम का नारा लगा रहे भाजपा विधायक का उत्साह शुक्रवार को देखते ही बन रहा था. भगवा में रंगे भाजपा विधायक की खुशी साफ बता रहा था कि झारखंड में भी इसका राजनीतिक प्रभाव दिखेगा.

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विधानसभा के बाहर जय श्रीराम
चुनाव परिणाम से लवरेज भाजपा विधायक सदन के अंदर और बाहर ना केवल जय श्रीराम का नारा लगा रहे थे बल्कि जीत के लिए पीएम मोदी का नाम भी बार बार ले रहे थे. भाजपा विधायक अनंत ओझा की मानें तो चुनाव परिणाम का असर झारखंड की राजनीति पर भी भविष्य में दिखेगा. उन्होंने कहा कि भगवा को निरादर करनेवाले के लिए ये बड़ा सबक है. इस ऐतिहासिक जीत से झारखंड बीजेपी में जहां फीलगुड है वहीं सत्तारूढ़ दल कांग्रेस, झामुमो और राजद का मोरल डाउन हुआ है.

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महागठबंधन में खटपट:झारखंड में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के अंदर चुनाव परिणाम आने के बाद खटपट शुरू हो गया है. कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी के अनुसार झारखंड की राजनीति में चुनाव परिणाम का कोई असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि पार्टी को इस चुनाव परिणाम ने सोचने को मजबूर कर दिया है. खासकर झारखंड की स्थिति पर इरफान अंसारी ने कहा कि संगठन को मजबूत करने के लिए वैसे नेता जिन्हें पोस्ट थोपा गया है उन्हें स्वेच्छा से पद त्याग कर संगठन को मजबूत करना चाहिए. वहीं राजद नेता सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि झारखंड की सभ्यता संस्कृति और राजनीतिक आवोहवा अलग है यहां चुनाव परिणाम का कोई असर नहीं पड़ेगा.

जीत से उत्साहित बीजेपी विधायक

कांग्रेस और जेएमएम के रिश्तों में खटास:झारखंड कांग्रेस के कई मंत्री और विधायक सरकार से खुश नहीं है. इसकी बानगी गिरिडीह में कांग्रेस चिंतन शिविर में देखने को मिली थी, जब पार्टी की एक विधायक दीपिका सिंह पांडे और स्वास्थ्य मंत्री ने सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए थे. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने यहां तक कह दिया था कि मुख्यमंत्री कांग्रेस के जनाधार को खत्म करने में लगे हैं. इससे महागठबंधन के दोनों दलों के नेताओं के रिश्तों में दरार आने का इशारा मिल रहा है. राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि हेमंत सोरेन ने कांग्रेस आलाकमान को दो मंत्रियों से इस्तीफा लेने की मांग की है. इस बात का जिक्र कई बार बीजेपी विधायक भानू प्रताप शाही कर चुके हैं. अगर कांग्रेस के दो मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ता है तो मामला और बिगड़ सकता है.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन

कांग्रेस के विधायकों को संभालकर रखने की चुनौती:पांच राज्यों के चुनाव परिणाम का झारखंड की राजनीति में भी असर हो सकता है. क्योंकि यूपी चुनाव के शुरुआती दौर में ही झारखंड कांग्रेस के प्रभारी आरपीएन सिंह बीजेपी में शामिल हो गए थे. अब बीजेपी ने यूपी में जबरदस्त जीत हासिल की है. तो कहीं न कहीं इसका असर झारखंड में दिख सकता है. आरपीएन के करीबी विधायक और सरकार ने नाराज विधायक अगर कोई खेला करते हैं, तो सरकार के लिए मुश्किल हो सकती है. अब सवाल है कि इस खेल में कितने विधायकों के शामिल होने से झारखंड में ऑपरेशन लोटस सफल होगा.

2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 16 विधायक जीत कर आए. बाद में जेवीएम से प्रदीप यादव और बंधु तिर्की भी कांग्रेस में शामिल हो गए. ऐसे में कांग्रेस के पास 18 (16+2) विधायक हैं. इनमें से कम से कम 12 विधायकों को पाला बदलना पड़ेगा तभी झारखंड में बीजेपी को खुशखबरी मिल सकती है. क्योंकि एनडीए के पास फिलहाल 28 विधायक हैं, जिसमें बीजेपी के 26 (25 + 1) और आजसू के 2 विधायक हैं. बीजेपी दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन का भी दावा करती रही है. ऐसे में अगर झारखंड में कांग्रेस के 12 विधायक इधर से उधर होते हैं तभी खेला संभव है, क्योंकि झारखंड में सरकार बनाने के लिए जरूरी आंकड़ा 41 है.

Last Updated : Mar 11, 2022, 7:58 PM IST

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