झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

सक्षम नहीं है जरेडा, विस्थापितों के लिए पीएम आवास या शहरी विकास योजना जरूरी: महेश पोद्दार - झरिया मास्टर प्लान

बीसीसीएल के कोयला खनन क्षेत्र में झारखंड सरकार की एजेंसी झरिया पुनर्वास और विकास प्राधिकरण (जरेडा) द्वारा क्रियान्वित हो रहे झरिया मास्टर प्लान की धीमी प्रगति पर चिंता जताते हुए राज्यसभा सांसद महेश्वर पोद्दार ने किसी केन्द्रीय एजेंसी को इस परियोजना के क्रियान्वयन का दायित्व सौंपने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा है कि विस्थापितों के समुचित पुनर्वास के लिए भारत सरकार के आवासन एवं शहरी विकास मंत्रालय के साथ समन्वय स्थापित करते हुए झरिया मास्टर प्लान को प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) या किसी अन्य योजना से जोड़ना भी श्रेयस्कर हो सकता है. सांसद महेश पोद्दार ने विशेष उल्लेख के माध्यम से राज्यसभा में यह मामला उठाया.

BJP MP Mahesh Poddar, बीजेपी सांसद महेश पोद्दार
बीजेपी सांसद महेश पोद्दार

By

Published : Feb 11, 2021, 4:55 PM IST

Updated : Feb 11, 2021, 5:18 PM IST

रांची: सांसद महेश पोद्दार ने पिछले बजट सत्र के दौरान तीन फरवरी 2020 को भी झरिया मास्टर प्लान से सम्बंधित तारांकित प्रश्न पूछा था. उन्हें बताया गया था कि बीसीसीएल कोयला खनन क्षेत्र अंतर्गत झरिया कोयला क्षेत्र में भूमिगत आग और भू-धंसान को नियंत्रित करने और इससे प्रभावित नागरिकों के पुनर्वास के लिए झरिया मास्टर प्लान को मंजूरी दी गयी है, जिसे 12 वर्षों की अवधि के बाद इसी वर्ष 2021 पूरा किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. भारत सरकार ने इसके लिए पर्याप्त निधि का आवंटन भी किया है.

ये भी पढ़ें-लोकसभा में आज झारखंडः कांग्रेस के आरोपों पर सांसद निशिकांत दुबे का पलटवार, लोकसभा में जमकर हुई बहस

झरिया मास्टर प्लान का क्रियान्वयन झारखंड राज्य सरकार के प्राधिकार “झरिया पुनर्वास और विकास प्राधिकरण (जरेडा)” द्वारा किया जा रहा है, जिसकी प्रगति अत्यंत धीमी. सदन में उपलब्ध कराये गए उत्तर को ही आधार मानें तो आग बुझाने की 45 परियोजनाओं में से मात्र 17 में अबतक आग पूर्णतः बुझाई जा सकी है. भूमिगत आग के ऊपर और भू-धंसान वाले क्षेत्रों में निवास कर रहे मात्र 2152 परिवारों को ही पुनर्वासित किया जा सका है, जबकि ऐसे वैध रैयतों और अतिक्रमणकारी परिवारों की कुल संख्या 1,04,946 है, जिनका पुनर्वास किया जाना है. अधिकांश परिवारों को उचित मुआवजा भी नहीं मिला है. इस बीच भू-धंसान की कई घटनाएं हुई हैं जिनमें कई परिवारों को जान और संपत्ति का नुकसान उठाना पड़ा है.

ये भी पढ़ें-संसद में आज झारखंड: लोकसभा में गरजे निशिकांत, बोले रद्द हो महुआ मोइत्रा की सदस्यता

स्वाभाविक तौर पर प्रभावित जनता का आक्रोश कोयला मंत्रालय और भारत सरकार के विरुद्ध होता है जबकि मूलतः इसकी जिम्मेवारी जरेडा पर आती है. राज्य सभा सांसद महेश पोद्दार ने सदन में कहा कि यदि जरेडा को वर्तमान गति से ही काम करने की अनुमति मिली तो सभी प्रभावित परिवारों के पुनर्वास में सैकड़ों साल लग जायेंगे. उन्होंने सदन में विशेष उल्लेख के माध्यम से आग्रह किया है कि भारत सरकार की किसी सक्षम एजेंसी को झरिया मास्टर प्लान के क्रियान्वयन का दायित्व देते हुए तय समयसीमा में इसका क्रियान्वयन पूर्ण कराने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाय.

Last Updated : Feb 11, 2021, 5:18 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details