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बसंत सोरेन की संपत्ति की हो जांच, प्राकृतिक संसाधनों का कर रहे दुरुपयोग: BJP

झारखंड में दुमका और बेरमो विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. इसे लेकर नेताओं का एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है. दुमका विधानसभा सीट से सीएम हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन चुनावी मैदान में है, इसलिए यह सीट चर्चा का विषय बना हुआ है. बीजेपी बसंत सोरेन पर लगातार कई आरोप भी लगा रही है.

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बीजेपी की पीसी

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Published : Oct 30, 2020, 3:57 PM IST

रांची: झारखंड में तीन नवंबर को दो सीटों पर उपचुनाव होना है, जिसमें दुमका विधानसभा सीट चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि इस विधानसभा सीट पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद विजय प्राप्त कर चुके हैं और अब उपचुनाव में मुख्यमंत्री के भाई बसंत सोरेन अपना किस्मत आजमा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर बीजेपी की तरफ से राज्य की पूर्व मंत्री लुइस मरांडी भी मैदान में खड़ी हैं.

जानकारी देते बीजेपी नेता


बसंत सोरेन की दावेदारी को लेकर बीजेपी की तरफ से चुनावी हमले लगातार जारी हैं. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने बसंत सोरेन और झारखंड मुक्ति मोर्चा पर हमला करते हुए कहा कि जेएमएम भले ही आदिवासियों के हितैषी और प्राकृतिक संसाधन का दोहन नहीं करने देने का दावा करती हो, लेकिन उनके इस दावे की पोल सोरेन परिवार के ही वरिष्ठ सदस्य और जेएमएम की वरिष्ठ विधायक सीता सोरेन के बयान से पता चलता है. प्रतुल शाहदेव ने झारखंड मुक्ति मोर्चा पर आरोप लगाते हुए कहा कि इन दिनों दुमका में 700 से अधिक अवैध क्रशर और माइनिंग चल रहे हैं, जिसकी पुष्टि जेएमएम की वरिष्ठ विधायक सीता सोरेन खुद कर रही हैं, उसके बावजूद भी मुख्यमंत्री के कान पर जूं तक नहीं रेंग रहा.

हेमंत सोरेन पर निशाना
वहीं उन्होंने बसंत सोरेन पर निशाना साधते हुए कहा कि मेसर्स ग्रांट माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड के ओर से अवैध माइनिंग को लेकर खनन विभाग ने 14 करोड़ पांच लाख का फाइन लगाया, लेकिन ना तो इसका अब तक भुगतान हो पाया है और ना ही इस फाइल को लेकर बसंत सोरेन के तरफ से कोई जवाब दी गई है, जिससे यह साफ प्रतीत होता है की भाई के सरकार आते ही 14 करोड़ के फाइन को माफ कर दिया गया, जिससे राजस्व का सीधा नुकसान हो रहा है.


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बीजेपी नेता सुधीर श्रीवास्तव बताते हैं कि जिस कोरोना काल में पूरी तरह से पैसों का लेन-देन बंद था. वैसे समय में बसंत सोरेन के ओर से नामांकन करते वक्त शपथ पत्र में यह दर्शाया गया है कि लॉकडाउन के अवधि में उन्होंने एक करोड़ 53 लाख रुपए का निवेश किया था और दो करोड़ सोलह लाख का लोन लिया था, जबकि लोन लेने वाले कंपनी का ना तो कोई डिटेल दिया गया और ना ही किसी भी कंपनी के डायरेक्टर की पुष्टि की गई, जिससे यह प्रतीत हो रहा है कि बसंत सोरेन अपने कमाए गए गलत पैसे को बिना नाम के कंपनी से लोन लेकर काले पैसे को सफेद कर रहे हैं, जो कि कंपनी एक्ट कानून के हिसाब से जुर्म है. वहीं उन्होंने ईडी और आईटी को सूचित करते हुए आग्रह किया है कि बसंत सोरेन के संपत्ति की जांच की जाए, ताकि उनकी बनाई गई कंपनी के मकड़जाल का भंडाफोड़ हो सके.

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