रांचीःराज्य सरकार और डीवीसी के बीच तकरार जारी है. बकाया भुगतान को लेकर डीवीसी की ओर से राज्य सरकार पर दवाब बना हुआ है. इसको लेकर मंगलवार को विधानसभा के बजट सत्र 2021 के आठवें दिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सदन में डीवीसी पर कार्रवाई करने के लिए विपक्ष से सहयोग मांगा तो राज्य में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया. प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने मुख्यमंत्री की इस अपील को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि जब तक डीवीसी का हेडक्वार्टर कोलकाता से नहीं हटाया जाता तब तक यह समस्या बनी रहेगी. सदन में भाजपा विधायक बिरंची नारायण ने कहा कि इस संबंध में उनकी ओर से केन्द्र सरकार को पत्र भी लिखा गया है.
ये भी पढ़ें-धान उत्पादन से ज्यादा उसे बेचने में परेशान हैं किसान, बोरे के अभाव में कभी भी बंद हो सकती है खरीदारी
सदन में भाजपा विधायक बिरंची नारायण ने कहा कि डीवीसी पर कार्रवाई करने से पहले डीवीसी कमांड एरिया में बिजली आपूर्ति की वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी. उन्होंने कहा कि सरकार को समाधान निकालना चाहिए. इधर सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायक इरफान अंसारी ने डीवीसी पर मनमानी का आरोप लगाते हुए कार्रवाई करने की मांग की. उन्होंने मुख्यमंत्री के विपक्ष से सहयोग मांगे जाने की अपील को सही बताते हुए कहा कि जिस तरह से डीवीसी कमांड एरिया में बिजली आपूर्ति को लेकर मनमानी होती है वो वहां की जनता ही समझती है.
ये है विवाद की वजह
गौरतलब है कि डीवीसी का 5608.32 करोड़ रुपये बकाया नहीं चुकाए जाने पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने झारखंड सरकार के खाते से 1417.50 करोड़ रुपये काट लिए थे. 15 अक्तूबर 2020 को राज्य सरकार के आरबीआइ खाते से 1417.50 करोड़ रुपये काट कर ऊर्जा मंत्रालय के खाते में ट्रांसफर कर दिया गया था, शेष राशि किश्तों में राज्य सरकार को भुगतान करना है.
ये भी पढ़ें-महंगाई की डबल मार: तेजी से बढ़ रही घरेलू सिलेंडर की कीमत, सब्सिडी में भी कटौती कर रही सरकार
अटपटे जवाब पर सरयू राय ने रखा विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव, सोमवार को स्पीकर लेंगे फैसला
रांचीः विधानसभा के बजट सत्र के दौरान बुधवार को एक बार फिर सदन में दिए गए जवाब पर विधायक सरयू राय का पारा चढ़ गया. खान विभाग के प्रश्न का सही जवाब नहीं मिलने से नाराज विधायक सरयू राय ने सदन में अधिकारियों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव दिया है. स्पीकर इस मामले में सोमवार को फैसला लेंगे.
विधायक सरयू राय ने कहा कि सदन के अंदर जब विभाग से जवाब आता है तो उससे पहले मंत्री का हस्ताक्षर होता है मगर आश्चर्य का विषय है कि मंत्री भी गंभीरता से प्रश्नों का जवाब नहीं देखते. जिसके कारण प्रश्नों का उत्तर सही से नहीं मिलता है . दरअसल सरयू राय ने सदन में 2011_12 में चाईबासा में माइनिंग का काम करने वाली OMM कंपनी के बारे में जानकारी मांगते हुए सदन से पूछा था कि इस कंपनी ने अनुमति आदेश से ज्यादा कितना और क्यों खनन किया था. सरयू राय ने कहा कि प्रश्न का जवाब विभाग द्वारा गोलमोल ढंग से दिया गया. सरयू राय ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि चूंकि तत्कालीन डीसी वर्तमान में अभी खान विभाग के सचिव भी हैं. उन्होंने हकीकत को छुपाने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि तत्कालीन चाईबासा डीसी और वर्तमान खान सचिव ने इसे गलत नहीं मानते हुए 2009-10 में कंपनी द्वारा किए गए माइनिंग से घटाकर एडजस्ट करने का आदेश दिया था जबकि डीसी को माइनिंग एडजस्टमेंट का पावर ही नहीं है. सरयू राय ने नाराजगी जताते हुए कहा है इससे पहले भी हमने विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष विभागीय अधिकारियों के द्वारा सही से जवाब नहीं देने पर आपत्ति जताई है ऐसे में अब स्पीकर इस मामले में फैसला लेंगे.