रांची: वैश्विक महामारी कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों को लेकर केंद्र और झारखंड सरकार में जमकर बयानों के बाण चल रहे हैं. एक तरफ राज्य सरकार प्रवासी मजदूरों को झारखंड वापस लाने के लिए केंद्र से गुहार लगा रही है. वहीं केंद्र का साफ कहना है कि राज्य सरकार इस मामले में कोऑपरेट नहीं कर रही है. झारखंड से बाहर 6,85,000 लोग लॉकडाउन की वजह से फंसे हुए हैं. इनमें सबसे अधिक संख्या महाराष्ट्र की है.
यह है प्रवासी मजदूरों का आंकड़ा
सरकारी आंकड़ों पर यकीन करें तो महाराष्ट्र के बाद गुजरात में 63,800, राजस्थान में 58,000, कर्नाटक में 45,100, तमिलनाडु में 43,400, दिल्ली में 33,100, पश्चिम बंगाल में 30,300, आंध्र प्रदेश में 29,800, उत्तर प्रदेश में करीब 25,700 लोग फंसे हुए हैं. वहीं वापस लौटने वालों में जिन्होंने सरकार के एप्लीकेशन पर नाम रजिस्टर कराया है, उनमें ओडिशा से 24,900, बिहार से 23,400, केरल से 18,300, हरियाणा से 17,700, तेलंगाना से 15,900, पंजाब से 13,300, गोवा से 12,900, अंडमान निकोबार में से 11,080, मिजोरम से 10000, छत्तीसगढ़ से 10000, मध्य प्रदेश से 7,500, हिमाचल प्रदेश से 6,500, उत्तराखंड से 6,100, दादर और नगर हवेली से 4,400, जम्मू कश्मीर से 2,000, आसाम से 1,500, दमन दीव से 100, मणिपुर से 70, पांडिचेरी से 60, त्रिपुरा से 50, चंडीगढ़ से 40, सिक्किम से 40, मेघालय से 20 लोग शामिल हैं. इनके अलावा अन्य इलाकों में फंसे लोगों की संख्या लगभग 40,000 है.
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प्रवासी मजदूरों को लेकर झारखंड पहुंची सबसे पहली ट्रेन
वहीं देश के अलग-अलग इलाकों में फंसे प्रवासी मजदूरों को लेकर देश में सबसे पहली ट्रेन झारखंड के लिए चली थी. रांची पहुंची इस ट्रेन से 1200 मजदूर रांची पहुंचे थे. दरअसल तेलंगाना से 1 मई को वहां फंसे 1200 मजदूरों को लेकर पहली ट्रेन हटिया पहुंची थी. उसके बाद से अब तक झारखंड के अलग-अलग इलाकों में 44 से अधिक ट्रेनें आ चुकी है.
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