रांची: कोरोना महामारी के दौरान मौत के बाद हेमंत सरकार की ओर से निशुल्क कफन मुहैया कराए जाने की योजना को लेकर सियासत तेज हो गई है. विपक्ष के बीजेपी का मानना है कि मुख्यमंत्री ने हथियार डाल दिए हैं, राज्य की जनता को अब अपने बलबूते पर ही संसाधन जुटाने होंगे. वहीं सत्ताधारी दल कांग्रेस ने बीजेपी को हिदायत देते हुए कहा है कि इस तरह की राजनीति से बीजेपी को परहेज करना चाहिए.
निशुल्क कफन योजना पर सियासत तेज, बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने - कांग्रेस का बीजेपी पर निशाना
झारखंड में कोरोना से मौत के बाद हेमंत सरकार की ओर से निशुल्क कफन मुहैया कराए जाने की योजना है. इसे लेकर राजनीति शुरू हो गई है. बीजेपी ने हेमंत सरकार पर निशाना साधा है, जिसके बाद कांग्रेस ने भी बीजेपी पर पलटवार करते हुए हिदायत दी है.
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने कहा कि मुख्यमंत्री की कफन मुहैया कराने की घोषणा पर उनकी बुद्धिमता पर भी प्रश्न खड़े हो रहे हैं, राज्य कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है, ऐसे में मुख्यमंत्री ढांढस बांधते तो राज्य की जनता उत्साहित होती और हिम्मत से इस चुनौती का सामना करती, लेकिन खुद मुख्यमंत्री ने हथियार डाल दिया और मृत्यु के बाद सरकार ने औपचारिकताएं पूरी करने की घोषणा कर दी. उन्होंने कहा कि जनता को समझना होगा कि सरकार के भरोसे वह ना रहे, बल्कि जो भी संसाधन जुटाने हैं, वह अब अपने बूते जुटाना होगा.
कांग्रेस का बीजेपी पर निशाना
बीजेपी के बयान पर सत्ता में शामिल कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी को मानवीय संवेदनाओं को ध्यान में रखकर ही कोई बात करना चाहिए. प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि बीजेपी को यह ध्यान रखना चाहिए कि प्रधानमंत्री क्या कहकर बनारस गए थे, सरकार ने लकड़ी तक का इंतजाम नहीं किया, जिस वजह से लोगों ने लाशों को गंगा में बहाना शुरू कर दिया और बीजेपी के नेता बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, हर चीज में राजनीति करना सही नहीं है, उन्हें समझना चाहिए कि राज्य के मुख्यमंत्री संवेदनशील हैं, जब उनको किसी ने कफन की समस्या की जानकारी दी, तब उन्होंने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि बीजेपी के नेता बाहर नहीं निकल रहे हैं, इसलिए उन्हें पता नहीं है कि कफन की जरूरत है या लकड़ी की जरूरत है, उनको यह पता है कि जो भी लाश है, उसे गंगा में बहा दो, ऐसी राजनीति से बीजेपी को परहेज करना चाहिए.