रांची:सरकार की किसी भी योजना को अगर शिद्दत के साथ धरातल पर उतारा जाए तो इसका असर देखते ज्यादा वक्त नहीं लगता. गर्मी के सीजन में एक योजना सुर्खियों में हैं. वह है बिरसा हरित ग्राम योजना. कोविड-19 ने साल 2020 में जब दस्तक दिया तो झारखंड सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी दूसरे राज्यों से लौटे मजदूरों को उनके पैरों पर खड़ा करने की. इसके लिए मई 2020 में बिरसा हरित ग्राम योजना शुरू की गई. लॉक डाउन के बीच अभियान चलाकर गांवों में तेजी से फलदार पौधे लगाए गये. मजदूरों को उनके घर में ही रोजगार मिला और किसानों को फलदार बागान. ग्रामीणों को समझते देर नहीं लगी कि सरकार के सहयोग से लगाए जा रहे फलदार पौधे आने वाले समय में उनकी जिंदगी में मिठास घोलने लगेंगे. अब वही देखने को मिल रहा है. झारखंड में आम्रपाली समेत कई आमों की वेरायटी का उत्पादन बढ़ गया है.
आंकड़े बता रहे हैं बदलते झारखंड की तस्वीर:ग्रामीण विकास विभाग के आंकड़ों के मुताबिक साल 2020-21 में बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत 25,695 एकड़ में 27,90,319 फलदार पौधे लगाए गये. साल 2021-22 में 20,647 एकड़ में 23,12,556 और 2022-23 में 20,933 एकड़ में 23,44,551 फलदार पौधे लगाए गये. तीन वर्षों में 67,275 एकड़ में कुल 74 लाख 47 हजार 426 पौधे लगाए गये. इस योजना का लाभ बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने उठाया. साल 2020-21 में 30,023 लाभुकों ने बागवानी की. साल 2021-22 में 23,554 और साल 2022-23 में 23,470 लाभुकों ने आम के पौधे लगाए. अब वही छोटे पौधे फल देने लगे हैं. इससे किसान बेहद उत्साहित हैं. कुछ समय पहले लगाए गये फलदार पौधे ग्रामीणों के जीवन में मिठास घोल रहे हैं.
आपको जानकार हैरानी होगी इस योजना को तत्कालीन रघुवर सरकार ने 2016-17 में बिरसा मुंडा बागवानी योजना के नाम से शुरू किया था. लेकिन 2016-17 से 2019-20 के बीच चार साल में महज 7,741 लाभुकों ने इस योजना का लाभ उठाते हुए सिर्फ 6,31,984 पौधे लगाए. जबकि हेमंत सरकार के कार्यकाल में इस योजना को बिरसा हरित ग्राम योजना का नाम मिलने के बाद महज तीन साल में 74 लाख 47 हजार पौधे लगा दिए गये.