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Bill Game In Jharkhand: झारखंड में विधेयक का खेल, सिर्फ पास कराने में दिखायी जाती है जल्दबाजी, केंद्र के रिमाइंडर को नहीं दी जाती तरजीह

झारखंड में विधेयक का खेल चल रहा है. राज्य सरकार ने आठ बिल पास कर राष्ट्रपति की सहमति के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा, जिसपर केंद्र सरकार की ओर से कुछ आपत्तियों पर जवाब मांग की गई है. लेकिन रिमाइंडर के बाद भी जवाब नहीं भेजा जा रहा है. इससे बिल लंबित हैं.

Bill game in Jharkhand
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Published : Feb 14, 2023, 10:49 PM IST

Updated : Feb 15, 2023, 8:35 AM IST

रांचीःझारखंड में नियम कानून की बातें तो खूब होती हैं. लेकिन जब उसे अमलीजामा पहनाने की बात आती है तो चुप्पी साध ली जाती है. यह बात यहां की ब्यूरोक्रेसी को कड़वी लगेगी. क्योंकि अधिकारी जानते हैं कि सदन से पारित हो जाने भर से कोई विधेयक यानी बिल कानून नहीं बन जाता है. उसे एक प्रक्रिया से गुजरना होता है. राज्य सूची से जुड़े बिल को विधानसभा से पारित होने के बाद राज्यपाल और समवर्ती सूची से जुड़े बिल को विधानसभा से पारित होने के बाद राष्ट्रपति की सहमति जरूरी होती है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि राष्ट्रपति की सहमति के लिए केंद्र सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों में आठ ऐसे बिल लटके हैं, जिनपर संबंधित मंत्रालयों ने कुछ जरूरी टिप्पणी या स्पष्टीकरण मांगा है.

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खास बात है कि आठ बिल में से सात बिल ऐसे हैं, जो पूर्वर्ती रघुवर सरकार के कार्यकाल में विधानसभा से पारित कराए गये थे. एक बिल वर्तमान हेमंत सोरेन सरकार से जुड़ा है. राज्यपाल के प्रधान सचिव नितिन मदन कुलकर्णी को 3 जनवरी 2023 को गृह मंत्रालय के अंडर सेक्रेटरी ने पत्र जारी कर इस ओर ध्यान आकृष्ट कराया है. पत्र में कहा गया है कि लंबित बिल पर राष्ट्रपति की सहमति के लिए कमेंट उपलब्ध कराया जाए.

केंद्र से चिट्ठी आने के बाद राज्यपाल के प्रधान सचिव नितिन मदन कुलकर्णी ने 6 जनवरी 2023 को सूबे के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को पत्र लिखकर जल्द से जल्द स्पष्टीकरण उपलब्ध कराने का आग्रह किया है, ताकि आगे की कार्रवाई पूरी की जा सके.

आपको जानकर हैरानी होगी कि द कांट्रेक्ट लेबर (रेगुलेशन एंड एबोलिशन)(झारखंड अमेंडमेंट ) बिल- 2015 पर केंद्र सरकार के श्रम एवं नियोजन मंत्रालय ने अपना पक्ष रखा था. इसमें गृह मंत्रालय ने 17 अगस्त 2017 को पत्र के जरिए राज्य सरकार को अवगत करा दिया था. राज्य सरकार से इस बिल को वापस लेने का भी आग्रह किया गया था. लेकिन आज तक राज्य सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया. इस मामले में केंद्र की ओर से अबतक 13 रिमांडर आ चुके हैं. अंतिम रिमाइंडर 2 अगस्त 2021 को आया था.

यही नहीं द बिहार इंडस्ट्रियल इस्टैबलिशमेंट (नेशनल एंड फेस्टिवल हॉलिडेज एंड केजुअल लिव)(झारखंड अमेंडमेंट) बिल- 2015 मामले में तत्कालीन राज्य सरकार ने बताया था कि बिल को वापस लेने की प्रक्रिया चल रही है. इसे जल्द ही विधानसभा के जरिए वापस लिया जाएगा. लेकिन 2 अगस्त 2021 से अब तक कुल चार रिमाइंडर भेजने के बाद भी बात आगे नहीं बढ़ी है.

यह स्थिति इन दो बिलों के साथ नहीं हैं, बल्कि सभी बिल के साथ है. द झारखंड लेबर लॉ (अमेंडमेंट) एंड मिसलेनियस प्रोविजन्स बिल- 2018 पर चार रिमाइंडर, द इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स (झारखंड अमेंडमेंट) बिल- 2018 पर दो रिमाइंडर, द झारखंड शॉप एंड इस्टेबलिशमेंट (अमेंडमेंट) बिल- 2018 पर दो रिमाइंडर, द फैक्ट्रीज (झारखंड अमेंडमेंट) बिल- 2019 पर पांच रिमाइंडर, द झारखंड शिड्यूल एरियाज ट्रांसफर ऑफ इमोवेबल प्रोपर्टी (बाई शिड्यूड ट्राइब्स) रेगुलेशन- 2018 पर दो रिमाइंडर और द सिगरेट्स एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट्स एडवर्टिसमेंट्स एंड रेगुलेशन ऑफ ट्रेड एंड कॉमर्स, प्रोडक्शन, (प्रोहिबिशन ऑफ सप्लाई एंड डिस्ट्रीब्यूशन) (झारखंड अमेंडमेंट ) बिल- 2021 पर भी पत्र भेजने के बावजूद कोई जवाब नहीं दिया गया है.

बेशक आठ में से सात बिल पूर्वर्ती रघुवर सरकार के कार्यकाल से जुड़े हैं. लेकिन केंद्र की ओर से सभी आठ बिल पर अंतिम रिमाइंडर 2 अगस्त 2021 यानी हेमंत सरकार को भेजे गये हैं. इसके बावजूद मामला लटका पड़ा है. झारखंड की ब्यूरोक्रेसी कितने गंभीर हैं. इसका अंदाजा इन बिलों के लंबित होने से लगाया जा सकता है. जानकार कहते हैं कि बिल का मसौदा तैयार करते वक्त विधि विभाग की राय की अनदेखी की गई, जिससे यह नौबत आई है. बता दें कि राजभवन से मॉब लिंचिंग सहित कई बिल इस वजह से राज्य सरकार को लौटाए गये हैं, जो बिल के हिन्दी और अंग्रेजी में एकरूपता नहीं था. हाल में 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति को राजभवन ने असंवैधानिक बताकर पुनर्विचार का सुझाव दिया है. सवाल है कि इन खामियों के लिए कौन जिम्मेदार है.

केंद्र में अटके बिल की सूची

द कांट्रेक्ट लेबर (रेगुलेशन एंड एबोलिशन)(झारखंड अमेंडमेंट ) बिल- 2015
द बिहार इंडस्ट्रियल इस्टैबलिशमेंट (नेशनल एंड फेस्टिवल हॉलिडेज एंड केजुअल लिव)(झारखंड अमेंडमेंट) बिल- 2015
द झारखंड लेबर लॉ (अमेंडमेंट) एंड मिसलेनियस प्रोविजन्स बिल- 2018
द इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स (झारखंड अमेंडमेंट) बिल- 2018
द झारखंड शॉप एंड इस्टेबलिशमेंट (अमेंडमेंट) बिल- 2018
द फैक्ट्रीज (झारखंड अमेंडमेंट) बिल- 2019
द झारखंड शिड्यूल एरियाज ट्रांसफर ऑफ इमोवेबल प्रोपर्टी (बाई शिड्यूड ट्राइब्स) रेगुलेशन- 2018
द सिगरेट्स एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट्स एडवर्टिसमेंट्स एंड रेगुलेशन ऑफ ट्रेड एंड कॉमर्स, प्रोडक्शन, (प्रोहिबिशन ऑफ सप्लाई एंड डिस्ट्रीब्यूशन) (झारखंड अमेंडमेंट ) बिल- 2021

Last Updated : Feb 15, 2023, 8:35 AM IST

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