जानकारी देते संवाददाता उपेंद्र कुमार रांची: राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स की व्यवस्था बेपटरी होती जा रही है. मरीजों के लिए सुविधा देने की बात लगातार होती रहती है, लेकिन यह सिर्फ जुमला ही बनकर रह जाता है. रिम्स इस कदर बदहाल है कि मरीजों के बेड के गंदे चादर तक नहीं बदले जाते, वो भी तब जब चादर बदलने का आदेश सूबे के स्वास्थ्य मंत्री ने खुद दिया है. इससे यह भी समझा जा सकता हे कि रिम्स में अधिकारी और कर्मचारियों की कैसे तूती बोलती है, कि उन्हें विभागीय मंत्री के आदेश की अवहेलना करने से भी कोई परहेज नहीं.
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दरअसल, अप्रैल 2023 में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता रिम्स निरीक्षण के दौरान मरीजों के बेड पर गंदे चादर देखकर भड़क गए थे. उन्होंने तत्काल एक मेडिकल ऑफिसर और सिस्टर इंचार्ज को निलंबित करने का आदेश भी दिया था. साथ ही आदेश दिया था कि मरीजों के बेड के चादर रोज बदले जाएंगे और रोज अलग-अलग रंग के चादर बिछाए जाएंगे.
हैरत की बात यह है कि स्वास्थ्य मंत्री के आदेश का पालन आज तक नहीं हुआ है. हर दिन अलग-अलग रंग की चादर बिछाना तो दूर चार-चार दिनों तक मरीजों के बेड का चादर नहीं बदला जाता है. ऐसे में गंदे चादर से मरीजों को इंफेक्शन का खतरा भी बना रहता है. इस बारे में चौपारण से इलाज कराने आये मनोज पांडेय ने कहा कि 18 मई को मरीज को रिम्स में भर्ती कराया था, तब से आज तक एक बार भी चादर नहीं बदला गया है. ट्रॉली मैन दीपक और मेडिसीन वार्ड की नर्स कहती हैं कि हर दिन धोया हुआ चादर नहीं मिलता, ऐसे में वे मरीजों को हर दिन साफ चादर नहीं दें सकते.
क्या था स्वास्थ्य मंत्री का आदेश?:स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने रिम्स में मरीजों के बेड के चादर को हर दिन बदलने का निर्देश दिया था. साथ ही साथ यह भी कहा था कि हर दिन के हिसाब से चादर का रंग अलग-अलग होना चाहिए. मंत्री का विचार था कि ऐसा करने से मरीजों में इंफेक्शन का खतरा भी कम होगा और देखने पर ही पता चल जाएगा कि चादर हर दिन बदला जा रहा है.
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उन्होंने कहा था कि मरीजों को जल्द ठीक होने और इंफेक्शन से बचाने के लिए जरूरी है कि साफ सफाई पर विशेष ध्यान रखा जाए. बन्ना गुप्ता के अनुसार, जब मरीजों के बेड का चादर ही गंदा होगा, वैसे में ना सिर्फ मरीजों को इंफेक्शन होने का खतरा बना रहेगा, बल्कि यह अच्छा भी नहीं लगता कि रिम्स जैसे बड़े मेडिकल संस्थान में मरीजों को दिए जाने वाला चादर गंदा हो. पूरे मामले को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने रिम्स के उपाधीक्षक और अधीक्षक से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन दोनों ने बाद में पूरी जानकारी देने की बात कह कर मामले को टाल दिया.