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बीएयू के वैज्ञानिक राष्ट्रीय चावल कार्य समूह की वार्षिक बैठक में हुए शामिल, संस्थान की अनेक उपलब्धियां बताईं - चावल वैज्ञानिक

बीएयू के वैज्ञानिक ने राष्ट्रीय चावल वैज्ञानिक कार्य समूह की वार्षिक बैठक में शामिल हुए. पूरे देश के 350 से भी अधिक वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया. इसमें साल 2020 में किए गए चावल शोध से सबंधित उपलब्धियों की समीक्षा और मूल्यांकन पर चर्चा की गई.

Rice scientists of ranchi's birsa agricultural university participated in national annual meeting
रांची: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के चावल वैज्ञानिकों ने राष्ट्रीय वार्षिक बैठक में लिया हिस्सा

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Published : Apr 21, 2021, 9:20 PM IST

रांची: आईसीएआर, नई दिल्ली के भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद की ओर से वर्चुअल मोड में चार दिवसीय राष्ट्रीय चावल वैज्ञानिक कार्य समूह की वार्षिक बैठक का आयोजन किया गया. बैठक में अखिल भारतीय समन्वित चावल सुधार परियोजनाओं से जुड़े बीएयू के दो वैज्ञानिकों समेत पूरे देश के 350 से भी अधिक वैज्ञानिकों ने भाग लिया.

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चार दिन तक चली इस बैठक में BAU के धान प्रजनक वैज्ञानिक डॉक्टर कृष्णा प्रसाद और धान कीट विशेषज्ञ डॉक्टर रबिन्द्र प्रसाद ने परियोजना अधीन रांची केंद्र का प्रतिनिधित्व किया. दोनों वैज्ञानिकों ने देशभर में साल 2020 में किये गए शोध कार्यों की उपलब्धियों की समीक्षा और मूल्यांकन की चर्चा में हिस्सा लिया.

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मौके पर BAU वैज्ञानिकों ने रांची केंद्र की ओर से अखिल भारतीय समन्वित चावल सुधार परियोजना के अधीन चावल शोध से सबंधित कई हानिकारक कीट और रोग सबंधी प्रयोगों की उपलब्धियों समेत कार्यक्रमों को प्रस्तुत किया. इस बैठक में चावल अनुसंधान की पांच वर्षीय राष्ट्रीय जांच दल की ओर से BAU के शोध कार्यों की सराहना की गयी.

विवि के बेहतरीन शोध कार्य और प्रदेश में धान फसल के महत्व को देखते हुए BAU मुख्यालय के अतिरिक्त क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, दारीसाई (पूर्वी सिंहभूम) के लिए चावल अनुसंधान के लिए एक नए वैज्ञानिक दल की स्वीकृति प्रदान की गई. इस दल में चावल प्रजनक, चावल शस्य विद और चावल कीट विशेषज्ञ के पदों को सृजित करने की अनुशंसा प्रदान की गई.

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इस राष्ट्रीय बैठक में आईसीएआर महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा ने देश की बढ़ती जनसंख्या के खाद्यान की आवश्यकता और संतुलित पोषण आधारित चावल किस्मों के विकास, उत्पादन पर लाभकारी वृद्धि वाली शोध रणनीति बनाने पर बल दिया. उन्होंने वैज्ञानिकों से चावल शोध की संभावित भावी योजनाओं के दीर्घगामी परिणामों के लिए मनोयोग से शोध कार्य में लगे रहने को कहा.

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