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BAU में मनाई गई नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती, वक्ता बोले-नेताजी के विचार आज भी प्रासंगिक

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मनाई गई. इस दौरान डॉ कुंदन ने नेताजी को आजादी के आंदोलन में समाजवादी विचारधारा का प्रखर समर्थक बताया. उन्होंने कहा कि नेताजी बाल्यकाल से स्कूली शिक्षा के दौरान ही अंग्रेजी दासता के विरोध में बगावत की थी.

BAU celebrated 125th birth anniversary of Netaji Subhash Chandra Bose
BAU में मनाई गई नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती

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Published : Jan 25, 2021, 11:02 PM IST

रांची: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में सोमवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की 125वीं जयंती मनाई गई. मौके पर मुख्य अतिथि और रांची विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ एल के कुंदन ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भारत की स्वतंत्रता में अहम योगदान विषय पर व्याख्यान दिया.

नेताजी की समाजवादी विचारधारा काफी प्रासंगिक

डॉ कुंदन ने नेताजी को आजादी के आंदोलन में समाजवादी विचारधारा का प्रखर समर्थक बताया. उन्होंने कहा कि नेताजी बाल्यकाल से स्कूली शिक्षा के दौरान ही अंग्रेजी दासता के विरोध में थे. कॉलेज शिक्षा के दौरान भी उन्होंने इस दासता का विरोध किया. स्वतंत्रता सेनानियों में नेताजी आजादी आंदोलन में सर्वाधिक आठ वर्षों तक और ग्यारह बार जेल में रहे. आज के परिवेश में उनके विचारों को किसी राजनीतिक दल के विचारों से बांधा नहीं जा सकता. देशवासी के लिए आज भी नेताजी की समाजवादी विचारधारा काफी प्रासंगिक है.

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वेलफेयर अकाउंट खोलने की घोषणा
मौके पर कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने नेताजी को देश के लिए एक महान व्यक्तित्व बताया. उन्होंने कहा कि उनके विचार और आदर्शों पर चल कर ही बेहतर समाज का निर्माण किया जा सकता है. उन्होंने नेताजी की जयंती के अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी स्तर के लोगों के सहयोग से विवि में कार्यरत हजारों आकस्मिक मजदूरों के लिए वेलफेयर अकाउंट खोलने की घोषणा की.

नेताजी के विचारों पर आधारित कृषि क्षेत्र में शोध पर चर्चा
बीएयू सबौर के पूर्व कुलपति डॉ एके सिंह ने सोमवार को नेताजी के विचारों पर आधारित कृषि क्षेत्र में शोध और चर्चा की वकालत की. मौके पर डीन एग्रीकल्चर डॉ एमएस यादव और डायरेक्टर रिसर्च डॉ अब्दुल वदूद ने भी अपने विचारों को रखा. कार्यक्रम का संचालन शशि सिंह, स्वागत भाषण डीएसडब्लू डॉ डीके शाही और धन्यवाद ज्ञापन डॉ एस कर्मकार ने दी. मौके पर डॉ सुशील प्रसाद, डॉ एमएच सिद्दिकी, डॉ जगरनाथ उरांव, डॉ एसके पाल, डॉ पीके सिंह, प्रो डीके रूसिया सहित एसोसिएट डीन, प्रोफेसर, टीचर्स और कर्मचारी भी मौजूद थे.

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