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झारखंड के सरकारी स्कूल में शौचालयों का हालः क्या वाकई छात्राओं को उठानी पड़ रही है परेशानी, पढ़ें रिपोर्ट

झारखंड के सरकारी स्कूल में शौचालयों का हाल बेहाल है. शिक्षा विभाग के डाटा के मुताबिक 312 स्कूलों में गर्ल्स टॉयलेट नहीं है. इस कारण इन विद्यालयों में पढ़ने वाली छात्राओं को उठानी पड़ रही है. Poor condition of toilets in government schools.

bad condition of toilets in government schools of Jharkhand
झारखंड के सरकारी स्कूली में शौचालयों का हाल बेहाल

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 6, 2023, 7:24 PM IST

Updated : Nov 6, 2023, 7:49 PM IST

रांचीः सरकारी स्कूलों में शौचालय की कमी की बातें अक्सर सामने आती रहती हैं. कहीं शौचालय नहीं तो कहीं शौचालय के बावजूद पानी की व्यवस्था नहीं. इसकी वजह से सबसे ज्यादा परेशानी छात्राओं को झेलनी पड़ती है.

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मीडिया में अक्सर खबरें आती हैं कि जिन स्कूलों में शौचालय नहीं हैं, वहां की छात्राएं बिना पानी पिए घर से स्कूल जाती हैं. प्यास लगने पर भी पानी पीने से बचती हैं. लेकिन जमीनी हकीकत क्या है. दरअसल, पूरे राज्य में कुल 35,443 सरकारी स्कूल हैं, जिनको प्राइमरी, मिडिल, सेकेंडरी और हाई सेकेंडरी में बांटा गया है. शिक्षा विभाग के डाटा के मुताबिक 312 स्कूलों में गर्ल्स टॉयलेट नहीं है.

इसपर शिक्षा सचिव के रवि कुमार का कहना है कि डाटा अपडेट नहीं होने की वजह से कंफ्यूजन हुआ है. उनका दावा है कि पूरे राज्य में महज 7 या 8 स्कूलों में टॉयलेट नहीं है. वे वैसे स्कूल हैं जो दूर दराज की पहाड़ियों पर हैं. इसके बावजूद उन्होंने इसकी समीक्षा शुरू की है. उनका फोकस इस बात पर है कि सभी स्कूल के टॉयलेट में रनिंग वाटर की सुविधा कैसे मुहैया कराई जाए. इसलिए यह कहना कि झारखंड के सरकारी स्कूलों में टॉयलेट नहीं होने से छात्राओं को परेशानी झेलनी पड़ रही है, यह सरासर गलत है. उन्होंने यह भी कहा कि जहां-जहां शौचालय नहीं थे, वहां नये शौचालय का निर्माण कार्य भी चल रहा है. दिसंबर तक सारा डाटा अपडेट हो जाएगा.

क्या कहते हैं आंकड़े

शिक्षा सचिव के इस दावे के बाद सरकारी आंकड़ों की पड़ताल की गई. उसमें 312 स्कूलों में गर्ल्स टॉयलेट नहीं होने की बात सामने आई है. आंकड़ों के मुताबिक ज्यादातर स्कूलों में शौचालय की सुविधा है. इस मामले में प्राइमरी स्कूल थोड़े पीछे नजर आ रहे हैं.

हाई सेकेंडरी स्कूल में गर्ल्स टॉयलेट की सुविधाः हालिया डाटा पर गौर करने पर कहीं खुशी तो कहीं ग़म वाली तस्वीर सामने आई है. खुशी की वजह यह कि राज्य के 981 हाई सेकेंडरी स्कूलों (जहां छात्र और छात्राएं दोनों पढ़ते हैं) में लड़कियों के लिए 976 शौचालय बने हुए हैं. इसका मतलब है कि सिर्फ 05 स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय नहीं हैं. जिला स्तर पर बात करें तो इस कैटेगरी में 19 जिलों में सौ फीसदी गर्ल्स टॉयलेट की सुविधा है. जहां तक पांच गर्ल्स टॉलेट की कमी की बात है तो चतरा में 42 की जगह 41, गिरिडीह में 73 की जगह 72, रांची में 70 की जगह 69, साहिबगंज में 36 की जगह 35 और जामताड़ा में 20 की जगह 19 शौचालय हैं.

सेकेंडरी स्कूल में शौचालय का हाल

सेकेंडरी स्कूलों में गर्ल्स टॉयलेट की सुविधाः राज्य में 1,697 सेकेंडरी स्कूल हैं, जहां छात्र-छात्राएं पढ़ती हैं. इनमें 99.59 प्रतिशत यानी 1,690 गर्ल्स टॉयलेट हैं. लेकिन अभी भी सात स्कूल ऐसे हैं जहां गर्ल्स टॉयलेट की सुविधा नहीं हैं. इनमें जामताड़ा, खूंटी, पलामू, पश्चिमी सिंहभू, देवघर, धनबाद और रांची का नाम शामिल है. जाहिर है कि इन सात स्कूलों की बच्चियों को परेशानी उठानी पड़ रही होगी.

मिडिल स्कूल में शौचालय का हाल

मिडिल स्कूलों में गर्ल्स टॉयलेट का स्टेट्सः इस लेबल पर आती ही कमियां नजर आने लगती हैं. राज्य में 11,531 मिडिल स्कूल हैं, जहां छात्र-छात्राएं पढ़ने आती हैं. इनमें 11,475 यानी 99.51 स्कूलों में गर्ल्स टॉयलेट बने हुए हैं. मतलब 56 स्कूलों में टॉयलेट की सुविधा नहीं है. जिला स्तर पर बात करें तो सिर्फ गुमला, लोहरदगा, पाकुड़, पूर्वी सिंहभूम और रामगढ़ ही ऐसे जिलें हैं जहां के मिडिल स्कूलों में गर्ल्स टॉयलेट की सौ फीसदी सुविधा है. इन आंकड़ों से साफ है कि 56 स्कूलों की बच्चियों को परेशानी झेलनी पड़ रही होगी.

प्राइमरी स्कूलों में गर्ल्स टॉयलेट का स्टेट्सः जहां शिक्षा की बुनियाद पड़ती है, वही सेक्टर टॉयलेट की सुविधा के मामले में पीछे है. आंकड़े बताते हैं कि राज्य में सबसे ज्यादा 21,185 प्राइमरी स्कूलों में से सिर्फ 20,941 स्कूलों में बच्चियों के लिए अलग से टॉयलेट नहीं बने हैं. पूरे राज्य में सिर्फ लोहरदगा ही एकमात्र ऐसा जिला है जहां के सभी प्राइमरी स्कूलों में बच्चियों के लिए टॉयलेट की सुविधा हैं. शेष 23 जिलों में कुल 244 गर्ल्स टॉयलेट की जरूरत है. इसमें सबसे खराब स्थिति पश्चिमी सिंहभूम, देवघर, गुमला और साहिबगंज की है. खास बात है कि साहिबगंज वह जिला है जहां के बरहेट विधानसभा से चुनाव जीतकर हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने हैं.

प्राइमरी स्कूल में टायलेट का स्टेटस

कुल मिलाकर देखें तो राज्य के सभी कैटेगरी के सरकारी स्कूलों में बच्चियों के लिए अलग से 312 टॉयलेट बनाए जाने की जरूरत है. लेकिन इसको डाटा में गड़बड़ी का नतीजा बताया जा रहा है. खास बात है कि एक तरफ राज्य सरकार ने निजी स्कूलों की तरह शिक्षा मुहैया कराने के लिए 80 स्कूल ऑफ एक्सीलेंस संचालित कर रही है ताकि वंचित वर्ग के होनहार बच्चों को उड़ान मिल सके. दूसरी तरफ सरकारी डाटा ही शिक्षा विभाग को सवालों के घेरे में खड़ा कर रहा है.

Last Updated : Nov 6, 2023, 7:49 PM IST

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