रांची:राजधानी रांची में कोरोना की वजह से कई लोगों के जीवन पर प्रभाव पड़ा है. खासकर परिवहन से जुड़े लोगों की जीवन शैली पर इसका असर देखने को साफ-साफ मिल रहा है. क्योंकि कोरोना की वजह से केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने एहतियात के तौर पर मार्च में लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी. जिस वजह से हर चीज के पूरी तरह से लॉक हो चुका था लेकिन लॉकडाउन के दौरान लोगों की परेशानी को देखते हुए राज्य सरकार ने धीरे-धीरे अनलॉक की प्रक्रिया शुरू की. जिसमें शर्त के साथ कई व्यवसाय को तो अनुमति दे दी गई लेकिन परिवहन से जुड़े व्यवसाय अभी तक यूं ही लॉक पड़े हुए हैं.
कोई नहीं ले रहे है सुध
बस व्यापार से जुड़े लोगों की परेशानी को देखते हुए ईटीवी भारत की टीम ने खादगढ़ा बस स्टैंड पर बेबस पड़े कर्मचारियों से जब बात की, तो उन्होंने अपनी बेबसी और लाचारी की बताते हुए कहा कि पिछले 6 महीने से वे इसी इंतजार में हैं कि शायद सरकार उनकी परेशानी को देखते हुए कुछ निर्णय लेगी, लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से न तो कोई निर्णय लिया गया है और न ही कोई उनकी सुध ले रहा.
क्या कहते हैं बस मालिक
बस मालिकों का कहना है कि वे बैंक से कर्ज लेकर गाड़ियां खरीदते हैं. जिसका उन्हें समय-समय पर किस्त भी भरना पड़ता है, लेकिन पिछले 6 महीने से स्टैंड पर यूं ही बस पड़े रहने की वजह से अब उन लोगों का किस्त भरना मुश्किल हो गया है और दूसरी ओर सरकार भी टैक्स वसूलने में भी कोई रियायत नहीं कर रही है. इन सभी कारणों से उनलोगों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है
बस की किस्त देने में असमर्थ
बस स्टैंड पर काम करने वाले स्टैंड किरानी का कहना है कि पिछले 6 महीने से एक भी पैसा उन लोग नहीं कमा पा रहे हैं. जिस वजह से न तो बच्चों का फीस भरा पाया है. न ही उन लोगों को बेहतर तरीके से अपना जीवन यापन कर पा रहे हैं. खादगढ़ा बस स्टैंड पर काम करने वाले मैकेनिक बताते हैं कि स्थिति इतनी बदतर हो गई है कि अब हम लोग अपना घर छोड़कर गांव की तरफ रुख कर रहे हैं क्योंकि शहर में घर का किराया देने के लिए भी हमारे पास पैसा नहीं बचा है.
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