साहिबगंजःजिले के तालझारी प्रखंड में पहाड़िया जनजाति की युवती को खाट पर अस्पताल पहुंचाने का मामला गर्माने लगा है. घटना की तस्वीर ट्वीट कर भाजपा के वरिष्ठ नेता बाबूलाल मरांडी ने झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार पर हमला बोला है. तस्वीर के बहाने मरांडी ने 108 एंबुलेंस समेत राज्य की सेहत व्यवस्था पर सवाल उठाया है.
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मरांडी ने बुधवार को अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर (Babulal marandi tweet in girl of Pahadia tribe case) कहा कि, निःशब्द हूं, आप स्वयं तय करें कि बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का दावा करने वाली झारखंड सरकार की धरातल पर वास्तविकता क्या है? दुःखद.
क्या था मामला
दरअसल, तालझारी प्रखंड के मोतीझरना पंचायत के टुटी पहाड़ में बीते दिन बिजली गिरी थी. इसमें पहाड़िया जनजाति की युवती सुशीला मालतो झुलस गई. इसके बाद उसके एक चचेरे भाई और सगे भाई उसका इलाज कराने उसे खाट पर लाद कर निकल पड़े. पहाड़ से उतर कर लगभग 7 किमी नीचे महाराजपुर आने में उन्हें लगभग 4 घंटे लग गए. यहां उन लोगों ने गंभीर महिला को निजी चिकित्सक से दिखाया और निजी चिकित्सक ने महिला को बेहतर इलाज के लिए रेफर कर दिया.
जनजाति को एंबुलेंस सेवा की नहीं जानकारी
ग्राम प्रधान सुकरा पहाड़िया ने बताया कि उन लोगों को 108 एम्बुलेंस सेवा की कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि आज सुबह मुंह धोने के लिए सुशीला घर से बाहर निकली थी और दरवाजे पर खड़ी थी. इस बीच ठनका गिरा और उससे वह झुलस गई. इसके बाद उसे इलाज के लिए पहाड़ से नीचे लाना पड़ा. हम लोग किसी की तबीयत बिगड़ने पर ऐसे ही खाट पर ले जाकर अस्पताल पहुंचाते हैं.
साहिबगंज में मरीज की खाट यात्रा पर बाबूलाल मरांडी का ट्वीट विज्ञापनों में खूब चमकती है 108 एंबुलेंस
108 एंबुलेंस सेवा केंद्र और राज्य सरकारों की महत्वाकांक्षी योजना है. लेकिन इसकी जमीनी हकीकत अलग है आज भी झारखंड के तमाम इलाकों में इसकी पहुंच नहीं है. इससे यहां के लोगों के लिए यह सेवा बेमानी है. जबकि इस सेवा को लेकर खूब विज्ञापन किया जाता है. राज्य और केंद्र सरकार इसको अपनी उल्लेखनीय उपलब्धि के रूप में गिनाती हैं. साहिबगंज जिले के तलझारी प्रखंड की यह तस्वीर इन दावों को आईना दिखाती है.
लोगों को योजनाओं की जानकारी ही नहीं
आज भी दूर-दराज के इलाकों में लोगों को तमाम शासकीय योजनाओं की जानकारी नहीं है. यदि लोगों को जानकारी हो तो वो योजना का लाभ ले सकते हैं. लेकिन उन तक ये जानकारी नहीं पहुंचाई जा सकी है. अगर पहाड़ों पर रहने वालों को इस सेवा की जानकारी रहती तो सुशीला के लिए एंबुलेंस बुलाई जा सकती. इससे उसे समय से अस्पताल पहुंचाया जा सकता और समय से इलाज शुरू हो पाता.