रांची:भाजपा विधायक दल नेता बाबूलाल मरांडी के खिलाफ दलबदल के मामले में शुक्रवार 10 दिसंबर को झारखंड विधानसभा अध्यक्ष न्यायाधिकरण में सुनवाई हुई. वर्चुअल माध्यम से हुई इस सुनवाई के बाद प्रिलिमनरी आब्जेक्शन पर न्यायाधिकरण ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.
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न्यायाधिकरण में वर्चुअल सुनवाई
भाजपा विधायक दल नेता बाबूलाल मरांडी के खिलाफ दलबदल का मामला विधानसभा अध्यक्ष न्यायाधिकरण में चल रहा है. शुक्रवार 10 दिसंबर को झारखंड विधानसभा अध्यक्ष न्यायाधिकरण में इसकी वर्चुअल सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी की ओर से वरीय अधिवक्ता आरएन सहाय ने पक्ष रखा. सहाय ने अपने मुवक्किल की ओर से कहा कि झारखंड विकास मोर्चा का भारतीय जनता पार्टी में मर्जर न्यायसंगत है. इस पर भारत निर्वाचन आयोग ने भी मुहर लगाई है.
वहीं प्रीलिमनरी ऑब्जेक्शन पर सुनवाई के दौरान राजकुमार यादव को छोड़कर, विधायक दीपिका सिंह पांडे, प्रदीप यादव, बंधु तिर्की और भूषण तिर्की की ओर से न्यायाधिकरण के समक्ष जवाब दाखिल किए गए. इसमें इन लोगों ने कहा कि चुनाव आयोग को दल-बदल मामले में फैसला लेने का अधिकार नहीं है. इस पर बाबूलाल मरांडी की ओर से ऑब्जेक्शन दाखिल किया गया. अधिवक्ता आरएन सहाय ने कहा कि विधायक बंधु तिर्की को जेवीएम ने अनुशासनात्मक कारवाई करते हुए 21 जनवरी 2020 को निष्कासित कर दिया था, उसके बाद प्रदीप यादव को भी पार्टी ने 06 फरवरी को निष्कासित कर दिया था. इसके बाद 11 फरवरी 2020 को जेवीएम कार्यसमिति की बैठक हुई, जिसमें 142 में से 132 ने भाग लेकर जेवीएम प्रजातांत्रिक का मर्जर बीजेपी में करने का फैसला लिया.