रांचीः झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान महागठबंधन की सरकार की ओर से पेश किए गए श्वेत पत्र पर बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया है. सोमवार को उन्होंने कहा कि श्वेत पत्र में बजट जैसी चीजें ही रखी हुई है. उसमें आय और व्यय का विवरण है. उन्होंने कहा कि कुछ नहीं है बल्कि राजनीतिक पुट दिया गया है.
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सरकार जब काम करती है तो उसे ऋण लेना होता है
कर्ज और सरकार के खर्च को लेकर बाबूलाल मरांडी ने कहा कि कोई भी सरकार जब काम करती है तो उसे ऋण लेना होता है. सरकार या तो वित्तीय संस्थानों श्रेणी लेती है या मार्केट से पैसे उठाती. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार इस बात का कभी दावा नहीं कर सकती है कि अगले 5 साल तक कोई ऋण सरकार नहीं लेगी. राज्य सरकार के खजाना खाली होने के दावे पर उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है.
सरकार के खजाना में पैसा पड़ा हुआ है
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सरकार के खजाना में पैसा पड़ा हुआ है और सरकार कोई काम नहीं कर रही. उन्होंने कहा कि ऑनगोइंग स्कीम पर एक बार सरकार ने जनवरी में रोक लगा दी. लगभग 16,000 करोड़ की ऐसी स्कीम थी जो प्रभावित हुई. वह भी यह कहकर कि उन योजनाओं में गड़बड़ी हुई है. हैरत की बात यह है कि एक महीने के बाद उसी से जुड़े काम का ऑर्डर दे दिया गया. उन्होंने कहा कि उन्हें जानकारी है लगभग एक महीने तक ठेकेदारों को बुलाकर उनसे परसेंटेज लिया गया है. साथ ही मामला फाइनल होते ही स्कीम जारी कर दी गई.
वहीं, खुद से जुड़े सवालों पर मरांडी ने कहा कि इसका जवाब स्पीकर से लेना ही अच्छा होगा. दरअसल अभी तक बाबूलाल मरांडी को झारखंड विधानसभा में न तो बीजेपी विधायक दल के नेता का दर्जा मिला है और ना ही नेता प्रतिपक्ष का दर्जा. इसी को लेकर बीजेपी विधायकों ने सोमवार को भी झारखंड विधानसभा के अंदर और बाहर प्रदर्शन किया.