रांचीःआयुर्वेद के क्षेत्र में शोध और संभावनाओं वाले प्रदेश का सरकारी आयुर्वेदिक सिस्टम (Ayurvedic medical system in Jharkhand) पूरी तरह ध्वस्त है. राज्य में पांच दर्जन से अधिक आयुर्वेदिक दवाओं की जगह सिर्फ दो तरह की दवाएं उपलब्ध है. स्थिति यह है कि आयुर्वेदिक अस्पताल में इलाज कराने आने वाले लोगों को बाजार से महंगी आयुर्वेदिक दवायें खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है.
यह भी पढ़ेंःशरीर की प्रकृति व दोष के अनुरूप ही हो भोजन : आयुर्वेद
रांची के डोरंडा स्थित संयुक्त औषधालय में दवा लेने आयी गौरी देवी ईटीवी भारत से बातचीत में कहती है कि डॉक्टर दवा लिखे हैं तो किसी तरह दवा तो खरीदना ही होगा. वहीं, आयुर्वेदिक चिकित्सा पदाधिकारी डॉ साकेत कुमार अपनी लाचारी इस तरह बयां करते हैं कि तीन महीने पहले ही 50 से ज्यादा दवाओं की सूची आयुष निदेशालय को भेजी गई है. लेकिन अब तक दवा की आपूर्ति ही नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि इलाज कराने आने वाले मरीजों को काउंसेलिंग करते हैं और घर के आसपास के मौजूद औषधीय पौधों के गुण बताते हुए सेवन करने की सलाह देते हैं. इसके अलावा कुछ दवा बाजार से खरीदने की भी सलाह देते हैं.
आयुष की महत्वपूर्ण इकाई आयुर्वेद में जहां एक ओर दवा नहीं है. वहीं दूसरी ओर आयुर्वेदिक डॉक्टर्स की भी कमी है. आयुर्वेदिक अस्पताल के लिए 259 आयुर्वेदिक डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं. लेकिन वर्तमान में सिर्फ दो दर्जन आयुर्वेदिक चिकित्सक कार्यरत हैं. इसमें कई डॉक्टर प्रशासनिक कार्य संभाल रहे हैं, जो मरीजों का इलाज नहीं करते हैं. जिला आयुष चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सच्चिदानंद सिंह ने बताय कि आयुर्वेदिक डॉक्टरों और दवाओं की कमी है. लेकिन व्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश की जा रही है. सीएचओ की बहाली की प्रक्रिया चल रही है. एक महीने के अंदर आयुर्वेदिक दवाओं की उपलब्धता भी सुनिश्चित कर ली जाएगी. उन्होंने कहा कि निदेशालय स्तर पर आयुर्वेदिक दवाओं की खरीद की प्रक्रिया चल रही है.