रांचीः प्रदेश में राजनीतिक दलों में अनुशासन के अलग-अलग मायने हैं. राज्य में सत्ताधारी बीजेपी हो या फिर विपक्ष में बैठने वाली कांग्रेस या झाविमो, सभी दलों में अनुशासन को लेकर लंबे दावे किए जाते हैं, लेकिन हकीकत उससे इतर होती है.
सत्ताधारी बीजेपी में भी आंतरिक कलह पर नहीं हुई कोई कार्रवाई
शुरुआत सत्ताधारी बीजेपी से करें तो लोकसभा चुनावों के दौरान हुई उठापटक के बाद पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ कार्रवाई के दावे किए गए. लेकिन नतीजा सिफर निकला. धनबाद जिले के बाघमारा विधानसभा इलाके से बीजेपी विधायक ढुल्लू महतो और गिरिडीह संसदीय इलाके से तत्कालीन सांसद रविंद्र पांडे के बीच आरोप-प्रत्यारोप का लंबा दौर चला. मामला बढ़ता देख दोनों नेताओं को बीजेपी ने शोकॉज जारी किया. इतना ही नहीं एक महिला ने तत्कालीन सांसद के ऊपर आरोपों की झड़ी लगाई. इसके बावजूद न तो पार्टी के तत्कालीन सांसद के ऊपर कोई कार्रवाई हुई और न ही विधायक के ऊपर.
वहीं, दूसरा मामला रांची के निवर्तमान सांसद रामटहल चौधरी से जुड़ा है. लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने से नाराज जब चौधरी ने विरोध के स्वर मुखर किए. तब पार्टी उनके दल छोड़ने तक का इंतजार करती रही. जनसंघ समय से और फिर बाद में बीजेपी से जुड़े रहे रामटहल चौधरी ने बीजेपी में रहते हुए निर्दलीय लड़ने का ऐलान कर दिया. इतना ही नहीं उन्होंने पार्टी के नेतृत्व पर सवाल भी खड़े किए. बावजूद उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. बाद में रामटहल चौधरी और उनके बेटे दोनों ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया.
विपक्ष भी अनुशासन की देता रहा अलग परिभाषा
अब बात अगर विपक्षी दलों की करें तो उनमें झाविमो के लातेहार से विधायक प्रकाश राम का नाम आता है. जिन्हें राज्यसभा चुनाव में कथित रूप से क्रॉस वोटिंग करने के आरोप में शोकॉज जारी किया गया था. पार्टी सूत्रों की माने तो विधायक राम पार्टी से दूरी बनाए हुए हैं. यहां तक की हाल में हुए कार्यसमिति की बैठक में भी वह शामिल नहीं हुए. वहीं पार्टी के दूसरे विधायक प्रदीप यादव झाविमो की एक महिला नेत्री के आरोपों के बाद अपने पद से त्यागपत्र देकर पार्टी में बने हुए हैं. जबकि कोर्ट ने उस मामले में उनकी बेल तक रिजेक्ट कर दी है. एक तरफ जहां प्रशासन उनके खिलाफ आरोपों की जांच कर रहा है, वहीं, पार्टी में उन कथित आरोपों को लेकर खामोशी बनी हुई है.
कांग्रेस भी अछूती नहीं है इससे
विपक्षी दल कांग्रेस की बात करें तो लोकसभा चुनाव के दौरान रांची से सांसद प्रत्याशी सुबोधकांत सहाय की हार के बाद झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यालय में जमकर हंगामा हुआ. सहाय समर्थकों और दूसरे पक्ष के पार्टी नेताओं के बीच झड़प भी हुई, लेकिन अभी तक घटना की रिपोर्ट की लेनदेन का सिलसिला जारी है.
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