रांची: पिछले कई महीनों से झारखंड कांग्रेस में अंतर्कलह और असंतोष का दौर चल रहा है. राज्य के कई नेता कई बार दिल्ली जाकर आलाकमान से प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. ये लोग राज्य में नई सरकार के गठन के साथ ही एक व्यक्ति एक पद को लेकर मुखर रहे हैं. कांग्रेस हाईकमान पिछले कई दिनों से राज्य में नेतृत्व परिवर्तन के लिए कवायद में जुटा था. बुधवार को कांग्रेस ने झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष के साथ-साथ चार कार्यकारी अध्यक्ष की भी नियुक्ति कर दी.
कांग्रेस आलाकमान ने राजेश ठाकुर को झारखंड कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया है. गीता कोड़ा, बंधु तिर्की, जलेश्वर महतो और शहजादा अनवर को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है. कांग्रेस की नई टीम में सामाजिक समीकरण का पूरा ख्याल रखा गया है.
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झारखंड कांग्रेस की नई टीम राजेश ठाकुर प्रदेश अध्यक्ष
रामेश्वर उरांव के साथ कार्यकारी अध्यक्ष की भूमिका में रहे राजेश ठाकुर को झारखंड कांग्रेस का कप्तान बनाया गया है. राजेश ठाकुर भूमिहार जाति से आते हैं. ऐसे में कांग्रेस ने राज्य में सवर्ण अध्यक्ष बनाकर अपर कास्ट के लोगों को साधने की कोशिश की है. वैसे तो राजेश ठाकुर बड़े जनाधार वाले नेता नहीं है. वो 2019 के विधानसभा चुनाव में मैदान में थे लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. लेकिन राजेश ठाकुर एक कुशल संगठनकर्ता के रूप में जाने जाते हैं. युवा कार्यकर्ताओं के साथ-साथ उनकी दिल्ली में भी अच्छी पकड़ है. जिसका फायदा उन्हें मिला भी. राजेश ठाकुर राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी के विशेष कार्यकारी पदाधिकारी के पद पर भी रहे हैं.
झारखंड कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर गीता कोड़ा कार्यकारी अध्यक्ष
गीता कोड़ा वर्तमान में राज्य से कांग्रेस की एकमात्र सांसद हैं. गीता कोड़ा आदिवासी समुदाय से आती हैं. उन्होंने बहुत कम समय में राज्य की राजनीति और आदिवासी समुदाय के बीच अच्छी पकड़ बनाई है. गीता कोड़ा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने से कांग्रेस आदिवासियों के बीच में पकड़ बनाने में आसानी होगी. साथ ही महिला प्रतिनिधित्व के तौर पर भी इसे देखा जा रहा है. गीता कोड़ा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी है और लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही कांग्रेस में शामिल हुई हैं. सिंहभूम क्षेत्र में इनकी अच्छी पकड़ है. गीता कोड़ा विधायक भी रही हैं. पिछली रघुवर सरकार को उन्होंने कई मुद्दों पर समर्थन भी दिया था.
कार्यकारी अध्यक्ष गीता कोड़ा बंधु तिर्की कार्यकारी अध्यक्ष
बंधु तिर्की विधानसभा चुनाव 2019 में जेवीएम के टिकट पर चुनाव जीते हैं. चुनाव के बाद जेवीएम का विलय बीजेपी में हो गया लेकिन दो विधायक बंधु तिर्की और प्रदीप यादव बीजेपी में नहीं गए बल्कि कांग्रेस का दामन थामा. बंधु तिर्की को सरकार या संगठन में एडज्सट करने का कांग्रेस पर काफी दबाव था. वो कई बार दिल्ली दौड़ लगा चुके हैं. बंधु तिर्की ने आरजेडी से राजनीतिक करियर की शुरूआत की. निर्दलीय विधायक चुने गए और फिर मधु कोड़ा सरकार में शिक्षा और खेल मंत्री भी रहे. वो कई दलों से जुड़ चुके हैं. उन्होंने अपनी पार्टी भी बनाई थी और तृणमूल कांग्रेस से भी चुनाव लड़ा. बंधु तिर्की क्रिश्चियन समुदाय से आते हैं और झारखंड में आदिवासी क्रिश्चियनों की संख्या काफी है, इस लिहाज से उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने ईसाई समुदाय को साधने की कोशिश की है.
कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की जलेश्वर महतो कार्यकारी अध्यक्ष
जलेश्वर महतो को कांग्रेस ने कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है. जलेश्वर महतो ने जेएमएम से अपनी राजनीतिक करियर की शुरूआत की थी. वो जेएमएम, समता पार्टी और जेडीयू में भी रहे. जेडीयू से दो बार वो विधायक भी रहे. कांग्रेस में आने से पहले जलेश्वर महतो जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष थे. उनपर झारखंड में जेडीयू को बढ़ाने की जिम्मेवारी थी. जलेश्वर महतो कुरमी जाति से आते हैं. इन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने ओबीसी वोट बैंक को साधने की कोशिश की है.
कार्यकारी अध्यक्ष जलेश्वर महतो शहजादा अनवर कार्यकारी अध्यक्ष
शहजादा अनवर पुराने कांग्रेसी है. पिछले राज्यसभा चुनाव में उन्हें उम्मीदवार भी बनाया गया था. हलांकि वो जीत नहीं पाए. शहजादा अनवर दो बार विधानसभा चुनाव लड़ चुक हैं. रामगढ़ जिला कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं. कांग्रेस की पिछली टीम में कार्यकारी अध्यक्ष रहे इरफान अंसारी की जगह उन्हें मौका दिया गया है. इरफान लगातार विरोधी तेवर अपनाए हुए हैं, जिसका फायदा शहजादा अनवर को मिला. कांग्रेस ने उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर अल्पसंख्यक वोट को साधने की कोशिश की है.
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कार्यकारी अध्यक्ष शहजादा अनवर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सवर्ण, कार्यकारी अध्यक्ष गीता कोड़ा आदिवासी, बंधु तिर्की क्रिश्चियन, जलेश्वर महतो ओबीसी और शहजादा अनवर अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं. कुल मिलाकर कहें तो कांग्रेस ने अपनी नई टीम में सिर्फ पांच लोगों को जगह देकर सभी जाति-धर्म के वोटरों को साधने की कोशिश की है. 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने रामेश्वर उरांव के नेतृत्व में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 16 सीटों पर जीत हासिल की. अब नई टीम पर उससे अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव रहेगा.