रांची:केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह झारखंड दौरे पर आ रहे हैं (Amit Shah Jharkhand visit). माना जा रहा है कि ये तैयारी 2024 के चुनावों में झारखंड फतह करने की है. 7 जनवरी को अमित शाह कोल्हान में जनसभा को संबोधित करेंगे. यहां से वे झारखंड में मिशन 2024 की रणनीति तैयार करेंगे. झारखंड में 2019 के लोकसभा चुनावों में एनडीए ने जबरदस्त जी हासिल की थी. उन्होंने झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से 12 पर जीत दर्ज की थी. इस बार बीजेपी सभी 14 सीटों पर जीत दर्ज करना चाहती हैं और इसकी की रणनीति में जुटी हुई है.
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कोल्हान में कमजोर हुई बीजेपी: 2014 के चुनाव परिणाम को अगर देखा जाए तो कोल्हान बीजेपी का गढ़ रहा है. कोल्हान ने बीजेपी के दो मुख्यमंत्री भी दिए हैं. अर्जुन मुंडा और रघुवर दास, लेकिन 2019 में विधानसभा चुनाव में बदली राजनीतक सियासत में कोल्हान की राजनीति बीजेपी के हाथ से निकल गई. कोल्हान जो बीजेपी का मजबूत किला माना जाता था वह 2019 में कमजोर कड़ी साबित हुई. आलम ये रहा कि बीजेपी के उस समय के मुख्यमंत्री रहे रघुवर दास तक अपनी सीट बचा नहीं पाए उन्हें हार का समाना करना पड़ा. 2019 के मई के चुनाव में लोकसभा में 12 सीटें जीतने वाली बीजेपी 3 महीने बाद ही विधानसभा चुनाव में बुरी तरह से हार गई और उसे सत्ता गंवानी पड़ी. इसी सियासी मंथन को लेकर के अमित शाह 7 जनवरी को को कोल्हान से अपने मिशन 2024 की शुरुआत करेंगे.
विधानसभा चुनाव में 26 एसटी सीट हारी बीजेपी:झारखंड में बीजेपी के हार के एक नहीं कई कारण बताए गए, उसका सबसे बड़ा कारण बीजेपी का गैर आदिवासी मुख्यमंत्री का नारा देना माना गया. लेकिन अगर कोल्हान को समझा जाए तो कोल्हान की कुल 14 सीटों में से 9 सीटें ST के लिए आरक्षित हैं. अगर झारखंड में एसटी सीट की बात करें कुल 28 सीटों में से बीजेपी 26 सीट हार गई थी और यही बीजेपी के सत्ता से जाने का सबसे बड़ा कारण बना.
1932 आधारित खतियान पर राजनीति:अमित शाह बीजेपी को कोल्हान से मजबूती देने की एक नई तैयारी इसलिए भी कर रहे हैं कि कोल्हान में हेमंत सोरेन के 1932 आधारित खतियान का विरोध भी बीजेपी के लिए एक हथियार बन सकता है. कोल्हान की राजनीति में बात मधु कोड़ा या गीता कोड़ा की करें तो 1932 आधारित खतियान को लेकर के इन लोगों ने हेमंत सरकार का विरोध किया है. यह अलग बात है कि गीता कोड़ा कांग्रेस की कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष भी हैं उसके बाद भी उन्होंने अपनी ही सरकार के इस आदेश का विरोध किया था और कहा था कि सरकार को इसे विचार में रखना चाहिए. मधु कोड़ा ने हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर के 1932 आधारित खतियान के विरोध की बात कही थी और यह भी कहा था कि कोल्हान के 50 लाख से ज्यादा लोग लावारिस हो जाएंगे.
झारखंड में मौजूदा राजनीतिक हालात में जिस तरीके की स्थितियां बनी है बीजेपी उसमें अवसर खोज रही है. यही वजह है अभी झारखंड के चुनाव और लोकसभा चुनाव में वक्त बचा हैं लेकिन उसके बाद भी बीजेपी ने जिस रणनीति के तहत झारखंड में गोलबंदी शुरू की है उससे बीजेपी की झारखंड जीतने की चिंता साफ तौर पर झलक रही है.
झारखंड में बीजेपी की राजनीतिक रणनीति रणनीति की बात करें तो 2024 का रण जीतने के लिए 3 तरह की गोलबंदी की जा रही है. बीजेपी के प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत बाजपेई ने संथाल वाली सियासत में अपना पहला कदम रखा था और पहली बार जब झारखंड आए थे तो बाबूलाल मरांडी के साथ संथाल में बीजेपी की गोलबंदी की. धीरे से ही सही लेकिन एक कहानी जरूर लिख गए थे. इसके बाद बीएल संतोष ने अर्जुन मुंडा के साथ जिस तरीके से छोटा नागपुर का क्षेत्र पकड़ने की कोशिश की है वह बीजेपी की राजनीतिक रणनीति को साफ तौर पर दर्शाती है. अब अमित शाह कोल्हान से बीजेपी को मजबूत करने और नई गोलबंदी की सियासत को शुरू करने वाले हैं. अमित शाह का दौरा बीजेपी के लिए 2024 जीत के लिए शुरुआती मंत्र होगा.