रांची: झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में कहीं स्ट्रेचर पर मरीजों की जगह दवाइयों के कार्टन ले जाए जाते हैं, तो कहीं एंबुलेंस में दफ्तरों के फर्नीचर ढोये जा रहे हैं, जो राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है.
एक तरफ रिम्स में आए दिन मरीजों को ट्रॉली नसीब नहीं हो पा रही है, वहीं दूसरी ओर रिम्स में दवाओं के कार्टन ट्रॉली पर ढोने का काम किया जाता है और रिम्स प्रबंधन कि ऐसे कर्मचारियों पर नजर तक नहीं रख पाता है. जिस एंबुलेंस को खरीदने के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, उस एंबुलेंस से मालगाड़ी के तरह सामान ढोना कितना जायज है. इसका खामियाजा सरकार के साथ-साथ आम जनता को भी भुगतना पड़ रहा है.
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