रांची:कोरोना के इस दौर में पूरे देश के साथ-साथ झारखंड में भी स्वास्थ्य कर्मचारी पूरे समर्पण भाव से काम कर रहे हैं. कोरोना मरीजों की जान बचाने के लिए स्वास्थ्य कर्मचारी पूरे जी-जान से जुटे हैं. दूसरी तरफ संकट की इस घड़ी में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर अपनी जेब भरने की जुगाड़ में लगे हैं. इस तरह के मामले राजधानी रांची में देखने को मिल रहे हैं जहां कोरोना मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए या संक्रमण से मरने वाले लोगों के शव को श्मशान पहुंचाने के लिए एंबुलेंसकर्मी अनाप-शनाप पैसे ले रहे हैं.
ईटीवी भारत की टीम ने कुछ एंबुलेंस चालकों से खूंटी जाने की बात की. चालकों ने खूंटी जाने के लिए चार हजार रुपए मांगे जबकि खूंटी का किराया डेढ़ से दो हजार रुपए होता है. जाहिर है कि मुश्किल भरे इस दौर में एंबुलेंस चालक लोगों की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं.
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मजबूरी का फायदा उठा रहे एंबुलेंस चालक
परिजनों का कहना है कि वे मजबूर हैं और ऐसी स्थिति में कुछ नहीं कर सकते. संक्रमित मरीज के शव को अस्पताल से श्मशान तक ले जाने के लिए अस्पताल संचालक परिजनों को अपना एंबुलेंस लेने के लिए मजबूर करते हैं. इसके लिए एंबुलेंस संचालक भारी भरकम रकम मांगते हैं. पंकज कुमार ने बताया कि सैम्फोर्ट अस्पताल से हरमू मुक्तिधाम तक शव ले जाने के लिए एंबुलेंस चालक ने चार हजार रुपए मांगे जो सामान्य से काफी ज्यादा है. एक और शख्स से हमने बात की तब उन्होंने बताया कि एंबुलेंस चालकों को उनके मन मुताबिक पैसे नहीं मिलते हैं तो लाशों को उठाने से मना कर देते हैं. कभी-कभी तो बीच रास्ते में भी उतार देने की धमकी देते हैं.
इस पूरे मामले को लेकर हमने जब रिम्स अस्पताल के पीआरओ डॉ. डीके सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि ऐसे एंबुलेंस कर्मियों पर कार्रवाई की जाएगी. इस तरह के कोई मामले आएंगे तो उस पर संज्ञान लिया जाएगा और ऐसे एंबुलेंस संचालकों के खिलाफ केस दर्ज कराया जाएगा.