रांचीः अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हम उन महिलाओं को सलाम करते हैं. जो अपने-अपने क्षेत्र में बेहतर किया है. विकट परिस्थिति के बावजूद अपने नाम का परचम लहराया है. इसी कड़ी में आज राजधानी रांची से 25 किलोमीटर दूर स्थित नामकुम क्षेत्र के खरसीदाग गांव की रहने वाली एलबिना एक्का से जुड़ी कहानी आपको बताएंगे. एक ऐसी शख्सियत, जिन्होंने अपने दम पर समाज में मुकाम हासिल किया है. केंद्रीय स्तर पर इन्हें और इनके काम को सम्मानित किया जा चुका है.
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एलबिना एक्का से हर कोई है परिचित
आप अगर नामकुम रिंग रोड क्षेत्र में है और एलबिना एक्का के बारे में किसी से पूछते हैं तो लोग उनके घर और उनके पूरा बायोडाटा आपको बता देंगे. इससे पहले उन्हें कोई नहीं जानता था. राजधानी रांची के नामकुम स्थित खरसीदाग गांव को भी ज्यादा लोग नहीं जानते थे. अब एलबिना के नाम से ही आज खरसीदाग गांव को लोग जानने लगा है. नामकुम के खरसीदाग की रहने वाली एलबिना को नए तरीके से खेती करने के लिए वर्ष 2018 में केंद्रीय कृषि मंत्री ने सम्मानित भी किया.
एलबिना नौवीं तक पढ़ी है. इसलिए कोई नौकरी उन्हें नहीं मिली. दूसरी और परिवार का पालन पोषण बहुत मुश्किल से होता था. उनके पास डेढ़ एकड़ जमीन थी, खेती की उन्हें कोई समझ नहीं थी, उनका मायका राजधानी रांची के ही हटिया में है. शहरी क्षेत्र में पली-बढ़ी होने के कारण ग्रामीण परिवेश का उन्हें अंदाजा नहीं था. शादी के बाद से ही आर्थिक तंगी का मार उन्हें गांव में झेलना पड़ा.