रांचीः सामाजिक न्याय मार्च के जरिए राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रही आजसू पार्टी आज रांची में पैदल मार्च करेगी. बापू वाटिका मोरहाबादी से हरमू मैदान तक पैदल मार्च करने किया जाएगा. राज्य स्तरीय इस सामाजिक न्याय मार्च का नेतृत्व आजसू प्रमुख सुदेश महतो करेंगे. हरमू मैदान पहुंचने पर यह सामाजिक न्याय मार्च एक सभा में तब्दील हो जायेगी.
Ranchi News: आजसू पार्टी का सामाजिक न्याय मार्च आज, राज्यभर से राजधानी में जुटेंगे हजारों कार्यकर्ता - रांची न्यूज
सामाजिक न्याय मार्च के जरिए आजसू पार्टी राज्य में अपनी ताकत का अहसास कराने की कोशिश में जुटी है. जिसको लेकर हजारों कार्यकर्ता आज राजधानी की सड़कों पर उतरे हुए दिखेंगे.
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सुबह 10 बजे से शुरू होने वाले इस सामाजिक न्याय मार्च में भाग लेने के लिए राज्य के विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में आजसू कार्यकर्ता राजधानी पहुंच रहे हैं. कार्यक्रम की जानकारी देते हुए आजसू प्रवक्ता देवशरण भगत ने कहा कि आजसू पार्टी ने अप्रैल महीने को सामाजिक न्याय महीना के रूप में मना रही है जिसके तहत जिला स्तर पर कई कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं. जिला स्तर पर कार्यक्रम होने के बाद सामाजिक न्याय मार्च का समापन राजधानी रांची में होगा. जिसके लिए व्यापक तैयारी की गई है.
सामाजिक न्याय मार्च के जरिए ताकत दिखाने की होगी कोशिशःसामाजिक न्याय मार्च के जरिए आजसू पार्टी राज्य में अपनी ताकत का अहसास कराने की कोशिश में जुटी है. जिसको लेकर हजारों कार्यकर्ता रविवार को राजधानी की सड़कों पर उतरे हुए दिखेंगे. पार्टी ने राज्य सरकार पर दबाव बनाने के लिए इस मार्च के जरिए 7 सूत्री मांग रखी है. जिसके तहत खतियान आधारित स्थानीय एवं नियोजन नीति, जातीय जनगणना एवं पिछड़ों को आबादी अनुसार आरक्षण, पूर्व में जो जातियां अनुसूचित जनजाति की सूची में थी उन्हें पुनः अनुसूचित जनजाति में शामिल करना, सरना धर्म कोड, बेरोजगारों को रोजगार, झारखंड के संसाधनों की लूट बंद करने तथा झारखंड आंदोलनकारियों को सम्मान देने के मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश सामाजिक न्याय मार्च के जरिए की जाएगी.
पार्टी प्रवक्ता देवशरण भगत के अनुसार आजसू पार्टी ने हाल के दिनों में संगठनात्मक मजबूती के लिए व्यापक अभियान छेड़कर राज्य में एक अपनी अलग पहचान बनाई है. अब संघर्ष का समय है इसलिए आजसू कार्यकर्ता राज्य सरकार की खामियों और वादाखिलाफी पर चुप बैठने के बजाए सड़कों पर उतरने का फैसला लिया है. जातीय जनगणना आज हो गई रहती तो नगर निकाय चुनाव भी हो गए रहते मगर सरकार ने ऐसा नहीं किया. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाबजूद सरकार सोई रही जिसका खामियाजा नगर निकाय को उठाना पड़ेगा.