रांचीःकृषि बाजार शुल्क के विरोध में झारखंड में व्यवसायियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल के चौथे दिन सरकार आखिरकार जग गई है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के साथ मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे और कृषि मंत्री बादल पत्रलेख की वार्ता हुई. जिसमें झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक 2022 को लेकर उठे विवाद पर विस्तार से चर्चा हुई है. वार्ता के दौरान कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने व्यवसायियों से कहा कि बाजार शुल्क में दो प्रतिशत टैक्स को लेकर राज्य में भ्रम की स्थिति पैदा की जा रही है. दरअसल, बाजार शुल्क में अधिकतम दो प्रतिशत का टैक्स लगाया गया है. खाद्यान्नों और वस्तुओं पर टैक्स का निर्धारण अलग-अलग किया जाना है. ऐसे में सभी खाद्यान्नों का बाजार शुल्क अलग-अलग होगा, न कि सभी पर दो प्रतिशत टैक्स लगाया जाएगा.
बाजार शुल्क को लेकर फैलाया जा रहा है भ्रमः वार्ता के दौरान कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि हर खाद्यान्न पर जिस तरह से दो प्रतिशत टैक्स लगाने की बात कही जा रही है, वह कहीं ना कहीं बाजार में भ्रम फैलाने जैसा है. जबकि हकीकत यह है कि हर खाद्यान्न पर बाजार शुल्क अलग-अलग निर्धारित की गई है. वहीं कृषि मंत्री बादल और मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे ने झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि बाजार शुल्क से संबंधित नियमावली तैयार करने के पहले किसानों, व्यवसायियों और मंडियों से जुड़े प्रतिनिधियों से सरकार राय लेगी.