रांची: केंद्र सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य पिछले कई सालों से लेकर चल रही है. वहीं, राज्य सरकार भी इस दावे को दोहराते रही है. झारखंड एक कृषि प्रधान राज्य है, जहां कुल आबादी के 80 प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर हैं. इसके बावजूद भी किसानों की आर्थिक स्थिति दयनीय है.
किसानों को आधुनिक प्रशिक्षण देने की आवश्यकता
राज्य में कृषि के क्षेत्र में कई असीम संभावनाएं हैं. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति आरएस कुराल ने बताया कि राज्य की भौगोलिक परिस्थिति वातानुकूलित नहीं होने के कारण किसानों के बीच कई तरह की चुनौतियां हैं. पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण झारखंड में बारिश के पानी जमा नहीं हो पाता है, जिससे भूमीगत जल का अभाव हमेशा बना रहता है. राज्य की 90 प्रतिशत खेती योग्य जमीन बारिश के पानी पर निर्भर हैं, केवल 10 प्रतिशत जमीन पर ही सिंचाई के लिए भूमीगत जल की व्यवस्था हो पाता है. ऐसे में अत्याधुनिक तकनीक के साथ उत्तम किस्म के बीज का प्रयोग से ही फसल की अच्छी पैदावार को बढ़ाया जा सकता है, जिसके लिए किसानों को प्रशिक्षण देने की जरूरत है.
देश में सबसे कम रासायनिक खाद का प्रयोग करता है झारखंड
बीएयू के कुलपति आरएस कुराल ने बताया कि झारखंड पूरे देश में पहला ऐसा राज्य है जहां, रासायनिक खाद का सबसे कम और आर्गेनिक खाद का सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है. उन्होंने बताया कि राज्य के किसान आर्गेनिक खाद के प्रयोग कर अच्छी पैदावार कर रहे हैं, जो काफी गुणवत्ता पूर्ण है. आर्गेनिक खाद के प्रयोग से उत्पन्न फसल रासायनिक खाद वाले फसल से कम हानिकारक होता है. उन्होंने बताया कि हमारी टीम लगातार यह प्रयास करती है कि किसानों के बीच जागरूकता लाया जाए, ताकि वे अच्छी फसल की पैदावार कर सके. किसानों के बीच जागरूकता लाने के लिए बीएयू के कृषि विज्ञान केंद्र इसकी पहल भी शुरू दी है. साथ ही खेतों की गुणवत्ता के आधार पर किसानों को उत्तम किस्म के बीज उपलब्ध कराने को लेकर कृषि विज्ञान केंद्र तैयारी में जुट गया है.