झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

आर्गेनिक खाद के प्रयोग में झारखंड अव्वल, फिर भी नहीं मिल रहा फसल का उचित दाम

कृषि प्रधान राज्य होने के बावजूद भी झारखंड के किसान संसाधनों के अभाव में समुचित विकास नहीं कर पा रहे हैं. झारखंड देश का पहला ऐसा राज्य है जहां सबसे कम रासायनिक खाद का प्रयोग किया जाता है. इसके बावजूद भी राज्य के किसान सरकार की नीतियों के कारण अपने फसल को औने-पौने दामों में बेचने को विवश हैं.

फसल

By

Published : Oct 29, 2019, 2:53 PM IST

रांची: केंद्र सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य पिछले कई सालों से लेकर चल रही है. वहीं, राज्य सरकार भी इस दावे को दोहराते रही है. झारखंड एक कृषि प्रधान राज्य है, जहां कुल आबादी के 80 प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर हैं. इसके बावजूद भी किसानों की आर्थिक स्थिति दयनीय है.

देखें पूरी खबर

किसानों को आधुनिक प्रशिक्षण देने की आवश्यकता

राज्य में कृषि के क्षेत्र में कई असीम संभावनाएं हैं. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति आरएस कुराल ने बताया कि राज्य की भौगोलिक परिस्थिति वातानुकूलित नहीं होने के कारण किसानों के बीच कई तरह की चुनौतियां हैं. पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण झारखंड में बारिश के पानी जमा नहीं हो पाता है, जिससे भूमीगत जल का अभाव हमेशा बना रहता है. राज्य की 90 प्रतिशत खेती योग्य जमीन बारिश के पानी पर निर्भर हैं, केवल 10 प्रतिशत जमीन पर ही सिंचाई के लिए भूमीगत जल की व्यवस्था हो पाता है. ऐसे में अत्याधुनिक तकनीक के साथ उत्तम किस्म के बीज का प्रयोग से ही फसल की अच्छी पैदावार को बढ़ाया जा सकता है, जिसके लिए किसानों को प्रशिक्षण देने की जरूरत है.

देश में सबसे कम रासायनिक खाद का प्रयोग करता है झारखंड

बीएयू के कुलपति आरएस कुराल ने बताया कि झारखंड पूरे देश में पहला ऐसा राज्य है जहां, रासायनिक खाद का सबसे कम और आर्गेनिक खाद का सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है. उन्होंने बताया कि राज्य के किसान आर्गेनिक खाद के प्रयोग कर अच्छी पैदावार कर रहे हैं, जो काफी गुणवत्ता पूर्ण है. आर्गेनिक खाद के प्रयोग से उत्पन्न फसल रासायनिक खाद वाले फसल से कम हानिकारक होता है. उन्होंने बताया कि हमारी टीम लगातार यह प्रयास करती है कि किसानों के बीच जागरूकता लाया जाए, ताकि वे अच्छी फसल की पैदावार कर सके. किसानों के बीच जागरूकता लाने के लिए बीएयू के कृषि विज्ञान केंद्र इसकी पहल भी शुरू दी है. साथ ही खेतों की गुणवत्ता के आधार पर किसानों को उत्तम किस्म के बीज उपलब्ध कराने को लेकर कृषि विज्ञान केंद्र तैयारी में जुट गया है.

ये भी पढ़ें: स्कूली छात्रा से दुष्कर्म के बाद पत्थर से कूचकर हत्या, एक आरोपी गिरफ्तार

खेतों तक नहीं पहुंचते हैं वैज्ञानिक

किसानों के मुताबिक आज भी सरकारी सुविधाओं के अभाव में राज्य के किसान लाचार हैं. पूरे राज्य में समुचित सिंचाई व्यवस्था का घोर अभाव है. कृषि वैज्ञानिक और विशेषज्ञों के अभाव में किसान नए तकनीक को नहीं जान पाते हैं, जिससे गुणवतापूर्ण खेती करने में राज्य के किसान पीछे हो जाते हैं. वहीं, किसानों का मानना है कि सरकार चाहे जितना भी योजना चला ले, अगर उन योजनाओं को जबतक धरातल पर नहीं उतारेगा, तबतक किसानों का विकास नहीं हो पाएगा. किसानों की आय दोगुनी करने के लिए हमारे वैज्ञानिकों को खेतों तक पहुंचना होगा, तभी जाकर किसान दोगुनी आय के मुहिम में आगे बढ़ पाएंगे. आज के वैज्ञानिक खेतों तक नहीं पहुंचते हैं, वे जबतक किसानों के बीच आकर प्रशिक्षित नहीं करेंगें तबतक किसान अच्छी पैदावार नहीं कर सकता है.

सरकार के गलत नीतियों के कारण औने-पौने दामों बेचना पड़ता है फसल

रांची के एक प्रगतिशिल किसान नकुल महतो ने बताया कि सरकार के कई योजनाओं का फायदा तो उन्हें मिल रहा है, लेकिन कुछ गलत नीतियों के कारण अच्छी पैदावार होने के बावजूद भी उन्हें अपनी फसल को औने-पौने दामों में बेचना पड़ता है. इन्होंने बताया कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार दृढ़ संकल्पित हैं, लेकिन सरकार जबतक किसानों की फसल को अच्छी दाम नहीं देता है, तबतक ये संभव नहीं लगता है. बता दें कि राज्य सरकार किसानों और शोधकर्ताओं को अत्याधुनिक तकनीकी से प्रशिक्षित करने के लिए उन्हें इजराइल भी भेज रही है, ताकि वहां की उच्च कृषि तकनीक को सीख कर किसान अपने राज्य में भी फसल की पैदावार को बढ़ा सके और अपनी आय को दोगुनी कर पाए.

ABOUT THE AUTHOR

...view details