रांचीः बिरसा कृषि विश्वविद्यालय और इसके अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्रों में गुरुवार को कृषि शिक्षा दिवस मनाया गया. कुलपति डॉ. ओंकार नाथ सिंह ने भारत में कृषि शिक्षा विकास के लिए कृषि क्षेत्र के प्रति युवाओं को प्रेरित और प्रोत्साहित करने का महत्वपूर्ण अवसर बताया. उन्होंने आज की युवा पीढ़ी को भारत में कृषि शिक्षा की आवश्यकता और महत्व पर जागरूक किए जाने की आवश्यकता है.
पहली बार 6 कृषि महाविद्यालयों की स्थापना
कृषि संकाय में आयोजित विचार गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए डीन एग्रीकल्चर डॉ एमएस यादव ने भारत में कृषि शिक्षा के इतिहास पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्राकृतिक आपदा और कृषि जोखिम को देखते हुए देश में पहले 6 कृषि महाविद्यालयों की स्थापना की गई. वर्ष 1960 में पंतनगर में पहले कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना से देश में कृषि शिक्षा को गति मिली. आज देश में 64 कृषि विश्वविद्यालय, 3 केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय और 4 डीम्ड कृषि विश्वविद्यालय है. कृषि संस्थानों के मामले में भारत दुनिया का सबसे समृद्ध देश है और इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं.
देश की नई शिक्षा नीति
डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद ने कृषि शिक्षा के क्षेत्र में पशुपालन और पशु चिकित्सा के प्रति युवाओं में बढ़ते रूझान के बारे में बताया और विगत दस वर्षों में देश में 16 वेटनरी विश्वविद्यालय की स्थापना के बारे में जानकारी दी. डीएसडब्ल्यू डॉ डीके शाही ने बताया कि देश की नई शिक्षा नीति में स्कूली स्तर से कृषि शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है. नई कृषि शिक्षा नीति के लिए भी हाल में समिति गठित की गई है. अध्यक्ष कीट डॉ पीके सिंह ने भारत में तक्षशिला विश्वविद्यालय काल से कृषि शिक्षा का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि पूरे देश में वर्ष 1960 में 4 हजार छात्रों के नामांकन के विरूद्ध वर्ष 2020 में करीब 40 हजार छात्रों के प्रति वर्ष नामांकन से कृषि शिक्षा के बढ़ते प्रभाव का पता चलता है. कुलसचिव डॉ नरेंद्र कुदादा ने कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर और लाभकारी कृषि से उद्यमशीलता विकास पर प्रकाश डाला.