रांची: कोरोना वायरस (Corona Virus) से दूसरी लहर में गंभीर रूप से बीमार हुए मरीजों ने कोरोना को तो मात दे दी, लेकिन पोस्ट कोविड (Post Covid) कई बीमारियां उन्हें परेशान कर रही है. म्यूकर माइकोसिस, MIS-C, न्यूरो और दिल की बीमारियों के साथ-साथ डायबिटीज कोरोना से ठीक हुए मरीजों को परेशान कर रहा है वह है.
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रिम्स के ओपीडी में पहुंच रहे डायबिटीज के मरीज
रिम्स के मेडिसीन और पोस्ट कोविड ओपीडी में हर दिन कई ऐसे मरीज पहुंचते हैं, जिन्होंने अपनी इच्छा शक्ति के बल पर कोरोना को तो मात दे दी, लेकिन वो डायबिटीज के शिकार हो गए. कोविड के इंफेक्शन से पहले ये लोग बिल्कुल स्वस्थ्य थे, लेकिन कोरोना के बाद जब समस्याएं हुई और जांच कराया तो ब्लड शुगर हाई पाया गया. लातेहार के अमित ने जब ओपीडी में जांच कराया तो डॉक्टरों ने उन्हें डायबिटीज बताया.
क्या कहते हैं डॉक्टर
रिम्स कोविड टास्क फोर्स के डॉ ऋषि गुड़िया बताते हैं कि नॉवेल कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान न सिर्फ फेफड़े पर असर पड़ता है, बल्कि अन्य महत्वपूर्ण अंग भी प्रभावित होते हैं. ऐसे में यह देखा जा रहा है कि कोरोना संक्रमण के बाद न सिर्फ उम्रदराज, बल्कि कम उम्र के लोग भी डायबिटीज का शिकार हो रहे हैं. डॉ गुड़िया ने ईटीवी भारत से बताया कि अगर डायबिटीज कोरोना के दवाओं के साइड इफेक्ट के चलते हुआ है तो मरीज धीरे-धीरे ठीक हो जाएगा, लेकिन अगर कोरोना वायरस के चलते पैंक्रियाज पर असर पड़ा होगा तो फिर जीवन भर के लिए यह रोग हो जाएगा.