रांची: कोविड-19 संक्रमण की वजह से जान गंवाने वाले मरीजों के परिजन से एंबुलेंस मुहैया कराने, दाह संस्कार कराने या फिर शव को कुछ दिन तक सुरक्षित रखने के नाम पर दोहन करने वाले ट्रांसपोर्टर और निजी अस्पतालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी. इस बाबत झारखंड के स्वास्थ्य विभाग ने एक आदेश जारी किया है. इस व्यवस्था को सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी संबंधित जिलों के सिविल सर्जन पर होगी. अगर किसी की कोरोना की वजह से मौत होती है तो संबंधित परिवार के लोग शव को ले जाने के लिए मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक या संबंधित जिला के सिविल सर्जन से संपर्क करेंगे.
शव को अगर जिला से बाहर भी ले जाना हो तब भी मोक्ष वाहन मुहैया कराने की जिम्मेदारी दोनों पदाधिकारियों पर होगी. अगर कोई परिवार शव नहीं ले जाना चाहे तो 24 घंटे के भीतर रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार की जिम्मेवारी भी प्रशासन की होगी. अगर पीड़ित परिवार को शव ले जाने के लिए वाहन मिलने में दिक्कत हो तो बिना पैसा लिए 4 दिन तक शव को सुरक्षित रखना निजी और सरकारी अस्पताल की जिम्मेदारी होगी. 4 दिन के बाद प्रतिदिन 500 रुपये वसूला जा सकेगा. अगर कोई परिवार मोक्ष वाहन से शव न ले जाना चाहे तो संबंधित अस्पताल पर दूसरी गाड़ी मुहैया कराने की जवाबदेही होगी. गाड़ी के सर्विस चार्ज के नाम पर 500 रुपए, ड्राइवर को पीपीई किट देने के नाम पर 700 रुपए, गाड़ी के सेनेटाइजेशन के नाम पर 200 रुपए और 10 किलोमीटर के दायरे में शव ले जाने पर 500 रुपए से ज्यादा राशि नहीं ली जा सकेगी. 10 किलोमीटर से ज्यादा सफर तय करने पर प्रति किलोमीटर 9 रुपए ही लिए जा सकेंगे. शुल्क की यह व्यवस्था एंबुलेंस के वापस लौटने पर भी लागू होगी.