रांचीः राजधानी रांची में जगह जगह पर छोटे छोटे बच्चे नशा करते नजर आते हैं. सभी बच्चे नाबालिग हैं और सब की उम्र 8 वर्ष से 16 वर्ष तक की है. राजधानी के किशोरगंज, मेन रोड, अल्बर्ट एक्का, सुजाता चौक सहित कई चौक चौराहों पर छोटे बच्चे नशे का सेवन करते देखे जा सकते हैं. वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि बच्चे नशे में सराबोर हैं. जानकारी के अनुसार सभी बच्चे प्रतिबंधित सिरप का सेवन करते हैं.
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नारकोटिक्स और एटीएस की छापेमारी में हुआ खुलासा: पिछले दिनों रांची में एटीएस की टीम ने भी एम्फैटेमिन नाम के ड्रग्स के साथ तस्कर गिरफ्तार किया था. झारखंड की एटीएस और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की लगातार कार्रवाई से यह तो स्पष्ट होता है कि रांची में नशे का कारोबार खुलकर हो रहा है. इस नशे की जद में राजधानी के नौनिहाल लगातार आ रहे हैं.
शहर की कई जगहों पर नशे का कारोबार: ईटीवी भारत की टीम ने भी इसकी जानकारी ली. जिसमें ये पाया गया कि कई जगहों पर प्रतिबंधित सिरप, गांजा और ब्राउन शुगर जैसे मादक पदार्थ मिल रहे हैं. लोगों को आसानी से यह सभी नशीली पदार्थ उपलब्ध हो जाता है, जो कहीं ना कहीं व्यक्ति के स्वास्थ्य पर सीधा असर करता है.
नाबालिगों के स्वास्थ्य पर करता सीधा असर: वैसे नाबालिग जो खतरनाक ड्रग्स का सेवन करते हैं, उनके स्वास्थ पर बुरा असर पड़ रहा है. इसको लेकर राजधानी के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉक्टर अशोक प्रसाद बताते हैं कि नाबालिगों को नशीली पदार्थ के सेवन की आदत से समय रहते नहीं रोका जाना चाहिए. अगर समय रहते आदत नहीं छुड़ायी गयी तो यही आदत आगे चलकर खुद के साथ साथ समाज और परिवार के अन्य लोगों को भी परेशान कर सकती है.
मोनोचिकत्सक डॉ. अशोक प्रसाद बताते हैं कि कम उम्र से अगर किसी को नशे की लत हो जाए तो वही व्यक्ति आगे जाकर दूसरे के जानमाल को भी हानि पहुंचा सकता है. डॉक्टर ने कहा कि बतौर वरिष्ठ मनोचिकित्सक उनकी तरफ से भी सरकार को कई बार समाज के लोगों को नशे से दूर करने के लिए काउंसलर बहाल करने का सुझाव दिया गया है.
बाल संरक्षण आयोग मामले पर गंभीर: बाल संरक्षण आयोग के वरिष्ठ सदस्य उज्वल तिवारी को भी इस मामले से अवगत कराया गया . इस पर उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि निश्चित रूप से ऐसी तस्वीर राजधानी में देखने को मिलती है जो कहीं ना कहीं लोगों को विचलित भी कर रही है. उन्होंने बताया कि राजधानी के बच्चे को नशे के जद से निकालने के लिए वो खुद गंभीर हैं. वो अपने आयोग के सभी पदाधिकारियों को स्पष्ट दिशा निर्देश दिए हुए हैं कि बच्चों को नशे की लत से निकालने के लिए जितने भी प्रयास हैं. उन सभी प्रयासों को धरातल पर उतारी जाए, क्योंकि बच्चे ही हमारे भविष्य हैं, अगर हम अपने वर्तमान को संभाल लेंगे तो हमारा भविष्य बेहतर होगा.
बाल संरक्षण आयोग के सदस्य उज्जवल तिवारी ने कहा कि बच्चों को नशे की जद से निकालने के लिए पूर्व में भी उन्होंने उत्पाद विभाग के आयुक्त और सचिव को पत्र के माध्यम से सूचित किया है. रांची के सभी बार में 21 साल से कम उम्र के युवाओं को शराब पिलाई जाती है. जिस पर उत्पाद विभाग के सचिव की तरफ से सभी जिलों के उपायुक्तों को निर्देश भी दिया गया है कि बार और रेस्त्रां पर निगरानी रखे ताकि कम उम्र के युवाओं को शराब के सेवन से बचाया जा सके.
उन्होंने कहा कि अवैध रूप से नशे का कारोबार करने वाले लोगों पर भी प्रशासन के साथ मिलकर आयोग कार्रवाई करेगा. उज्जवल तिवारी ने बताया कि आने वाले दिनों में समय-समय पर राज्य के संवेदनशील जगहों, बार और रेस्त्रां में निरीक्षण किया जाएगा. वहीं उन्होंने लोगों से भी अपील करते हुए कहा कि जहां भी नाबालिगों की समस्याएं दिखती हैं, बाल संरक्षण आयोग में सूचित करें ताकि राजधानी एवं राज्य के बच्चों को नर्क की जिंदगी में जाने से बचाया जा सके.
जिस प्रकार से राजधानी के नौनिहाल नशे की जद में गिरफ्त हो रहे हैं ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले दिनों में झारखंड की सामाजिक परिदृश्य क्या होगी. जरूरत है बाल संरक्षण आयोग जैसे संस्थानों का नियमित रूप से संचालन होते रहे लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण हैं कि झारखंड जैसे राज्यों में पिछले 3 साल से आयोग के सदस्य एवं अध्यक्ष का चयन नहीं हो पाया. जिस वजह से पिछले तीन वर्षों से बच्चों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा. ऐसे में अब यह देखने वाली बात होगी कि राज्य के नौनिहालों को नशे की जद से निकालने में आयोग और सरकार के लोग कितना सफल हो पाते हैं.
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