झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

झारखंड में जूनियर पुलिस अफसरों पर हो रही कार्रवाई, बख्शे जा रहे बड़े अधिकारी

झारखंड़ पुलिस में विभागीय और अपराधिक मामलों को लेकर जूनियर अफसरों पर कार्रवाई हो रही है लेकिन बड़े अफसरों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है. कई अधिकारियों की भूमिका भी संदेहास्पद रहा है, लेकिन उसके बावजूद भी उनपर अब तक कार्रवाई नहीं हुई है.

Action being taken on junior police officers in Jharkhand
झारखंड पुलिस

By

Published : Jan 29, 2021, 1:34 AM IST

रांची: झारखंड पुलिस में विभागीय और अपराधिक मामलों को लेकर जूनियर अफसरों पर कड़ी कार्रवाई हो रही, लेकिन डीएसपी से लेकर आईपीएस अधिकारियों पर पुलिस मुख्यालय या सरकार के स्तर से कार्रवाई नहीं हो रही है. हाल के दिनों में कई अधिकारियों की भूमिका अलग-अलग मामलों में संदेहास्पद के तौर पर उभरा है. कई मामलों में बड़े अफसरों को दोषी मान कार्रवाई की अनुशंसा भी की गई, लेकिन मुख्यालय या सरकार के स्तर पर कार्रवाई नहीं हुई.



दारोगा बर्खास्त, डीएसपी और इंस्पेक्टर बचे
साल 2016 में जीटी रोड में अवैध वसूली के मामले में चालक को गोली मारने के सनसनीखेज मामले में बोकारो डीआईजी प्रभात कुमार ने हरिहरगंज थाने के तत्कालीन थानेदार संतोष रजक को निलंबित कर दिया. सीआईडी ने इस मामले में तत्कालीन थानेदार के साथ साथ इंस्पेक्टर डीएन मिश्रा, डीएसपी मजरूल होदा को भी दोषी पाया था, साथ ही उनके खिलाफ चार्जशीट दायर की थी. घटना के बाद से दारोगा निलंबित थे. निलंबन में ही दारोगा का तबादला गढ़वा जिला बल में किया गया था. इस मामले में आरोपी डीएसपी पहले से ही निलंबनमुक्त हो चुके हैं. वहीं शीर्ष स्तर के किसी अधिकारी पर कार्रवाई नहीं हुई. केस में जुड़े अनुसंधान पदाधिकारी रहे उमेश कच्छप ने भी दबाव में आकर खुदकुशी कर ली थी.



सीडीआर मामले में सीआईडी ने दी रिपोर्ट, नहीं हुई कार्रवाई
राज्य के पूर्व डीजीपी डीके पांडेय की बहू के तलाक के मामले में सीडीआर का गलत इस्तेमाल हुआ था. इस मामले में सीआईडी ने जमशेदपुर के तत्कालीन एसएसपी और राज्य के डीआईजी बजट की भूमिका को लेकर मुख्यालय को अगस्त 2020 में रिपोर्ट किया था. बताया गया था कि पांच नंबरों के सीडीआर निकालने में पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 92 का पालन नहीं किया, लेकिन सीआईडी की रिपोर्ट पर मुख्यालय ने आगे की कार्रवाई नहीं की. सीआईडी के कोल्हान रेंज के डीएसपी ने मामले की जांच में लिखा था कि जमशेदपुर पुलिस के सामने तत्कालीन डीजीपी के बेटे ने जान पर खतरा होने की आशंका जताते हुए शिकायत दर्ज करायी थी. इस शिकायत में पांच नंबरों का जिक्र किया गया था. शिकायत के आधार पर पुलिस ने नंबरों की सीडीआर निकाली, इसके बाद तत्कालीन डीजीपी के मौखिक आदेश पर सीडीआर को सीलबंद कर पुलिस मुख्यालय भेजा गया था. बाद में इसी का इस्तेमाल तलाक के केस में हो गया. सीआईडी मुख्यालय ने जांच रिपोर्ट में उल्लेख किया था कि सीडीआर निकालने में सीआरपीसी 92 का पालन नहीं हुआ था.


इसे भी पढे़ं: कार्मिक प्रशासनिक सुधार और राजभाषा विभाग में बड़े स्तर पर पदाधिकारियों का तबादला, जानिए पूरी रिपोर्ट


थाने से भागा था गैंगस्टर, सिर्फ दारोगा पर चार्जशीट
हजारीबाग के बड़कागांव थाना के हाजत से गैंगस्टर अमन साव के फरारी मामले में दारोगा मुकेश कुमार पर चार्जशीट दायर की गई है. इस मामले में पूछताछ में दारोगा मुकेश कुमार ने स्वीकार किया था कि तत्कालीन बड़कागांव डीएसपी अनिल कुमार सिंह के कहने पर उसने अमन साव को थाने की हाजत के बजाय गेस्ट हाउस में रखा था. मुकेश कुमार ने बताया था कि वरीय अफसरों के दबाव में उससे गलत एफआईआर करवायी गयी थी. एक वरीय अफसर को कोठी पर ले जाने की बात भी मुकेश ने स्वीकार की थी, लेकिन अब तक पूरे मामले में सिर्फ मुकेश कुमार पर सीआईडी ने चार्जशीट की.



गोड्डा के पूर्व एसपी पर विभागीय कार्रवाई की अब तक अनुमति नहीं
धनबाद में चर्चित गांजा प्रकरण में सीआईडी जांच कर रही है. इस मामले में फर्जी तरीके से मास्टरमाइंड बनाए गए सीसीएल कर्मी चिरंजीत घोष को गोड्डा में गांजा तस्करी के एक मामले में फर्जी तरीके से फंसाया जा रहा था. सीआईडी ने जांच में यह पाया कि गोड्डा के तत्कालिन एसपी शैलेंद्र वर्णवाल ने थानेदार सूरज कुमार को आदेश देकर फर्जी तरीके से कंफेशन में चिरंजीत का नाम डलवा दिया था. थानेदार ने इस संबंध में सीआईडी को पूरी जानकारी भी दी. सीआईडी ने गोड्डा के तत्कालिन एसपी पर विभागीय कार्रवाई की अनुसंशा की, लेकिन इस संबंध में मुख्यालय या सरकार के स्तर पर फैसला अब तक लंबित है. धनबाद गांजा प्रकरण में ही सीआईडी ने जांच में पूरी एफआईआर को झूठ का पुलिंदा बताया था. इस मामले में निरसा के थानेदार को निलंबित किया गया था, लेकिन डीएसपी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.

ABOUT THE AUTHOR

...view details