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मैनहर्ट घोटालाः संकट में पूर्व सीएम रघुवर, ACB ने दर्ज की पीई - ACB registered PE against Raghuvar Das in ranchi

झारखंड के पूर्व सीएम रघुवर दास पर मैनहर्ट मामले में गुरुवार की देर शाम एसीबी ने पीई दर्ज कर ली है. मैनहर्ट घोटाले में रघुवर दास पर सरयू राय ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है.

PE registered against Raghuvar Das in ranchi
PE registered against Raghuvar Das in ranchi

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Published : Nov 6, 2020, 12:40 AM IST

रांची: मैनहर्ट कंपनी को रांची शहर में सिवरेज ड्रेनेज निर्माण में परामर्शी बनाने में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की परेशानी बढ़ सकती है. एसीबी ने मैनहर्ट मामले में गुरुवार की देर शाम पीई (प्रीलिमिनरी इंक्वायरी) दर्ज कर ली है. पीई में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास समेत अन्य की भूमिका की जांच होगी.

विधायक सरयू राय की शिकायत पर कार्रवाई

पूर्व सीएम रघुवर दास के तत्कालीन मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री रहते सरयू राय की शिकायत पर एसीबी ने पीई दर्ज की है. 2 अक्टूबर को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मैनहर्ट मामले में एसीबी जांच का आदेश जारी किया था. साल 2005 में रघुवर दास के नगर विकास मंत्री रहते हुए रांची में सिवरेज ड्रेनेज निर्माण की डीपीआर बनाने के लिए मैनहर्ट का चयन हुआ था. इस मामले में 31 जुलाई को विधायक सरयू राय ने एसीबी में आवेदन देकर डीजी नीरज सिन्हा से जांच की मांग की थी. मैनहर्ट मामले में पूर्व सीएम और मैनहर्ट को परामर्शी बनाने के दौरान नगर विकास मंत्री रहे रघुवर दास समेत अन्य के खिलाफ जांच का अनुरोध किया गया था. सरयू राय की शिकायत पर एसीबी ने मामले में सरकार के मंत्रिमंडल, निगरानी और सचिवालय विभाग से पत्राचार किया था. सरयू राय पूर्व में पूरे मामले में एक किताब भी लिख चुके हैं.

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क्या है सरयू राय का आरोप

सरयू राय का आरोप रहा है कि मैनहर्ट की नियुक्ति में नगर विकास मंत्री रहते हुए रघुवर दास ने गड़बड़ी की. एसीबी को 18 बिंदुओं पर जांच के लिए सरयू राय ने आवेदन दिया था. आवेदन में बताया गया था कि 17 अगस्त 2005 को मैनहर्ट को परामर्शी बनाने का अनुचित आदेश दिया गया. मैनहर्ट कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए टेंडर की शर्तों में बदलाव किया गया. तकनीकी शर्तों के साथ फर्जीवाड़ा का आरोप भी लगाया गया. आरोप यह भी है कि काम सिंगापुर की असली मैनहर्ट को नहीं देकर भारत में इसी नाम से बनायी संस्था को दिया गया. सरयू राय की और से नगर निगम और मैनहर्ट के बीच समझौते को भी अनुचित बताया गया था.

राजबाला वर्मा पर भी राय ने लगाए थे आरोप

सरयू राय का आरोप था कि साल 2009 में राजबाला वर्मा निगरानी आयुक्त थीं. परिवाद के आधार पर तब जांच के लिए तत्कालीन आईजी एमवी राव ने पांच बार निगरानी आयुक्त से जांच की अनुमति मांगी. लेकिन अनुमति नहीं दी गई. सरयू राय ने एसीबी को दिए आवेदन में शिकायत की थी कि राजबाला वर्मा ने तब निगरानी ब्यूरो को जांच देने के बजाय निगरानी विभाग के तकनीकी परीक्षण कोषांग को जांच का आदेश दिया. सरयू राय ने आरोप लगाया था कि राजबाला वर्मा ने मैनहर्ट नियुक्ति के षडयंत्र में सक्रिय भूमिका निभायी और लोकसेवक के आचरण के विरूद्ध काम किया.

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