नई दिल्ली:कर्नाटक के मैंगलोर में पैदा हुए 57 वर्षीय डॉ. अजय कुमार की कर्मभूमि बिहार और झारखंड रही. एमबीबीएस की पढ़ाई कर अजय कुमार डॉक्टर बने, उसके बाद सिविल सर्विस की परीक्षा देकर वे आईपीएस अधिकारी बने, फिर राजनीति में आए सांसद भी बने उसके बाद कांग्रेस से जुड़ कर चंद दिनों पहले तक झारखंड प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख के तौर पर अपनी सेवा दे रहे थे. अचानक कांग्रेस का हाथ छोड़ जिस तरह वे गुरुवार को आम आदमी पार्टी में शामिल हुए इसके पीछे उनकी क्या सोच थी? इस बारे में ईटीवी भारत ने डॉ अजय कुमार से खास बातचीत की.
डॉ अजय कुमार से खास बातचीत अजय कुमार ने कहा कि केजरीवाल सरकार के कामकाज में उन्हें पारदर्शिता दिखाई देती है. चाहे बिजली-पानी का मसला हो या शिक्षा व स्वास्थ्य का, दिल्ली में जो ये जो काम कर रहे हैं उसकी चर्चा झारखंड, बिहार के घर-घर में हो रही है. इससे पता चलता है कि सरकार के कार्य से कितने लोगों को भला हो रहा है.
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'बिहार-झारखंड में होती है केजरीवाल सरकार के कामकाज की चर्चा'
डॉ. कुमार ने कहा कि दिल्ली में भले ही अन्य राजनीतिक दल और नेता इनका विरोध कर रहे हों, लेकिन आम आदमी जो दिल्ली से हजार किलोमीटर दूर बिहार-झारखंड के सुदूर इलाके में रह रहा है, उसे केजरीवाल सरकार के कामकाज का स्टाइल पसंद है. उन्होंने आम लोगों की सेवा के लिए आम आदमी पार्टी से जुड़ना पसंद किया. अन्ना आंदोलन में वह भी एक सिपाही के तौर पर शामिल हुए थे तब से लेकर आज तक की आंदोलन के साथ रहा, केजरीवाल सरकार की गतिविधियों पर नजर रखने के बाद उन्होंने आप पार्टी में शामिल होने का फैसला लिया है.
'अच्छे लोगों को राजनीति में आना चाहिए'
डॉ. कुमार से जब पूछा गया कि आम आदमी पार्टी में क्या भूमिका निभाएंगे? पार्टी में अपना भविष्य वह कहां देखते हैं? इस सवाल के जवाब में कहा कि यह एक संकीर्ण मानसिकता होगी. अच्छे लोग अगर राजनीति में आना चाहते हैं तो उन्हें सबसे पहले यह त्याग करना चाहिए कि वे मंत्री बनेंगे या मुख्यमंत्री बनेंगे या पार्टी में हमें क्या जिम्मेदारी मिलने वाली है? आम आदमी की जिंदगी कैसे बेहतर तरीके से बीते नेताओं को इसके बारे में सोचना चाहिए. हमें अगर कोई जिम्मेदारी मिलेगी तो हम कुछ ऐसा ही करना चाहेंगे.
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राजनीति में दिल्ली का आम आदमी पार्टी का मॉडल एक बेहतर मॉडल है. सरकार चलाने की रणनीति दिल्ली से देश के अन्य राज्य सरकारें भी सीखे तो यह बेहतर होगा. देश को अगर नफरत और धनबल से जिस तरह चुनाव हो रहा है इससे बचाना है तो हमें आम आदमी पार्टी सरकार की कार्यशैली को अपनाना चाहिए.
झारखंड और दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कही बड़ी बात
झारखंड में और कुछ महीने बाद दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में वह अपनी भूमिका कहां निभाएंगे? इस बारे में डॉ. अजय कुमार ने कहा कि उन्होंने सुबह ही पार्टी की सदस्यता ली है. पार्टी उन्हें जहां उपयुक्त समझे वह इस्तेमाल कर सकती है. झारखंड में आम आदमी पार्टी को उन्होंने अभी लंबी लड़ाई करने की बात कही. अजय कुमार कहते हैं अगर आप सरकार को काम के बल पर चुनाव में वोट देगी तो 70 में से 70 सीटें मिलेंगी. उन्होंने आम लोगों से भी अपील की कि वे सरकार के काम पर को देखते हुए ही वोट दें. झारखंड में भी जो हालात हैं उसमें आम आदमी पार्टी जैसी राजनीति और शासन की बहुत ही आवश्यकता है. लेकिन यह 2019 में होगा यह कहना मुश्किल है. वर्ष 2024 में बिल्कुल होगा यह हम सबको यकीन है. आम आदमी पार्टी को अभी संघर्ष करने की आवश्यकता है और इसके लिए मैं तैयार हूं.
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बता दें कि लंबे समय तक कांग्रेस में रहे डॉ. अजय कुमार झारखंड कांग्रेस के नेताओं में आपसी खींचतान से काफी नाराज थे. हाल में कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी को भेजे इस्तीफे में अजय कुमार ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय को कटघरे में खड़ा किया था. उन्होंने पत्र में बीते दिनों झारखंड कांग्रेस मुख्यालय में हुई मारपीट का जिक्र किया था. उन्होंने लिखा था कि सुबोध कांत सहाय का पार्टी कार्यालय में हमला कराना एक ओछी हरकत थी. पिछले दिनों दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल झारखंड दौरे पर गए थे. वहां उन्होंने राज्य इकाई से मुलाकात कर आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीतियों पर विचार किया. केजरीवाल ने जमशेदपुर में आईआईटी खड़गपुर में अपने पुराने साथियों और टाटा स्टील में काम करने वाले पुराने साथियों से भी मुलाकात की थी. इसी दौरान डॉ. अजय कुमार को पार्टी में शामिल करने को लेकर अंतिम निर्णय लिया गया था.