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आदिवासी जन परिषद ने मरांग गोमके को दी श्रद्धांजलि, राजनीतिक जीवन पर डाला प्रकाश - रांची में मरांग गोमके को श्रद्धांजलि

मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की 118वी जयंती के अवसर पर रांची में आदिवासी जन परिषद के कार्यकर्ताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान सभी ने मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा के राजनीतिक जीवन पर प्रकाश डाला.

aadiwasi jan parishad paid tribute to marang gomke in ranchi
आदिवासी जन परिषद ने मरांग गोमके को दी श्रद्धांजलि,

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Published : Jan 3, 2021, 8:39 PM IST

रांचीः आदिवासी जन परिषद के कार्यकर्ताओं की ओर से करम टोली कार्यालय में मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की 118वी जयंती मनाई गई. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने उनकी तस्वीर पर श्रद्धांजलि अर्पित की. कार्यक्रम में मुख्य रूप से केंद्रीय अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा, प्रधान महासचिव अभय भूट कुवंर, महिला मोर्चा अध्यक्ष शांति सवैया शामिल हुईं.

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मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की 118वी जयंती
आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा ने मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा के राजनीतिक जीवन पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा की जयपाल सिंह मुंडा झारखंड पार्टी को कांग्रेस पार्टी में विलय करना एक बहुत बड़ी राजनीतिक भूल थी. कांग्रेस पार्टी में झारखंड पार्टी का विलय नहीं किए होते तो उसी समय ही झारखंड अलग राज बन गया होता, जब भी संविधान सभा में आदिवासियों पर बहस होती तो कहा करते थे कि समाजवाद और लोकतंत्र देखना है तो आदिवासियों के बीच जाकर देखिए, लोकतंत्र क्या होता है वास्तव में पता चल जाएगा. वो हमेशा अनुसूचित जनजाति नहीं बल्कि 'आदिवासी' शब्द का प्रयोग करने के लिए संविधान सभा में बातें रखते थे.

आदिवासी जन परिषद के प्रधान महासचिव अभय भूत कुमार ने कहा मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा हॉकी खेल से शुरुआत कर राजनीतिक पटल पर पहुंचे. आदिवासी समाज में दलीय राजनीति कैसे की जाती है, जयपाल सिंह मुंडा से सीखी जा सकती है, इसलिए झारखंड के खासकर झारखंडी समाज से अपील करना चाहते हैं कि जयपाल सिंह मुंडा के रास्ते से ही विकास के पथ पर जाए.

आदिवासी जन परिषद की महिला मोर्चा अध्यक्ष शांति सवैया ने कहा की मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा जैसे आदिवासी महानायक का जन्म होना झारखंड के इतिहास में क्रांतिकारी कदम है. खेल जगत अपने जीवन की शुरुआत कर भारत को स्वर्ण पदक दिलाया. प्रेम शाही मुंडा ने हमेशा भाषा, संस्कृति और आदि पुरखा स्वशासन व्यवस्था का परंपरा को भारतीय संविधान में शामिल करने के लिए पुरजोर वकालत किया. उन्होंने अलग राज्य की मांग को लेकर भारतीय राजनीति में स्थापित किया. धर्म के नाम पर आदिवासियों को नहीं लड़ने का हमेशा रोकने का प्रयास किया.

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