रांची: झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के आखिरी दिन कुल 8 विधेयक पारित हुए. झारखंड राज्य सेवा देने का गारंटी (संशोधन) विधेयक, 2020, दंड प्रक्रिया संहिता (झारखंड संशोधन) विधेयक, झारखंड खनिज धारित भूमि पर (कोविड-19 महामारी) उपकर विधेयक, झारखंड माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, झारखंड राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, झारखंड मूल्यवर्द्धित कर (संशोधन) विधेयक, मोटर वाहन करारोपण (संशोधन) विधेयक और झारखंड राज्य भौतिक चिकित्सा (फिजियोथेरेपी) परिषद विधेयक, 2020 को सदन की स्वीकृति मिली. सत्र के अंतिम दिन कुल 17 गैर सरकारी संकल्प लाए गये, जिस पर सरकार के संतोषप्रद जवाब के कारण वोटिंग की नौबत नहीं आई.
जानकारी देते विधानसभा अध्यक्ष सदस्यों ने दिए प्रस्ताव
रामचन्द्र चंद्रवंशी ने झारखंड खनिज धारित भूमि पर (कोविड-19 महामारी) उपकर विधेयक के कुछ बिंदुओं पर आपत्ति जताते हुए संशोधन की मांग रखी. उन्होंने प्रवर समिति को भेजने का प्रस्ताव दिया. राज सिन्हा ने कहा कि विधेयक का सरकार गलत इस्तेमाल करना चाहती है. इसमें स्पष्ट है कि इससे जुड़े मामले को सिर्फ सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में ही चुनौती दी जा सकती है. जबकि निचली अदालतों में भी चुनौती का अधिकार होना चाहिए. हालांकि यह प्रस्ताव अस्वीकृत हो गया.
झारखंड राज्य भौतिक चिकित्सा (फिजियोथेरेपी) परिषद विधेयक, 2020 में अनंत ओझा ने संशोधन का प्रस्ताव रखा. उन्होंने परिषद में स्पीकर के माध्यम से एक विधायक को सदस्य मनोनीत करने की मांग रखी जो अस्वीकृत हो गयी. रामचन्द्र चंद्रवंशी ने भी अध्याय-2 के खंड-5 के उपबंध पर संशोधन प्रस्ताव रखा. इसपर मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि पूरा मामला प्राइमरी स्टेज में है. इसपर सीपी सिंह ने सत्ताधारी दल के विधायक इरफान अंसारी को सदस्य मनोनीत करने का सुझाव दिया, तमाम संशोधन प्रस्ताव अस्वीकृत हो गये. राज सिन्हा ने भी कई बिंदुओं पर सवाल उठाए, मंत्री ने कहा कि माननीयों के जरूरी सुझाव को आने वाले समय में जोड़ा जाएगा. अंतत: यह विधेयक बहुमत से पास हो गया.
विधायक प्रदीप यादव ने झारखंड राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (संशोधन) विधेयक का औचित्य और इसका मतलब विभागीय मंत्री से जानना चाहा. इसके जवाब में वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि तीन तरह के बजट होते हैं. पहला सरप्लस बजट, दूसरा बैलेंस बजट और तीसरा डिफिसिट बजट, उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का प्रावधान है कि डिफिसिट बजट में आय की तुलना में खर्च ज्यादा होता है लेकिन वह 3.5% से ज्यादा खर्च नहीं किया जा सकता है. लेकिन लोन के माध्यम से 2% अतिरिक्त खर्च की राशि बढ़ाई जा सकती है इसी मकसद से इस विधेयक को लाया गया है.