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झारखंड में 60-40 नाय चलतो वाली राजनीति, सदन से लेकर सड़क तक खूब चर्चा में है ये नई वाली बात

झारखंड में 60 40 नाय चलतो ने सियासत को नई राह दे दी है. विपक्ष इस मुद्दे को सदन में लेकर खड़ा है और युवा नौकरी से सवाल पर सोशल मीडिया पर. हेमंत सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती इस मुद्दे से निपटने की है जो उनके अपने सहयोगी भी उठा चुके हैं.

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Published : Mar 14, 2023, 8:12 PM IST

रांची: झारखंड में 60-40 नाय चलतो खूब ट्रेंडिंग में है. बात सियासत की करें या फिर ट्विटर की, सभी जगहों पर 60-40 नाय चलतो नारा खूब चल रहा है. सदन के अंदर सरकार से जवाब मांगा जा रहा है. सदन के बाहर नारा लगाया जा रहा है. झारखंड के युवा 60-40 नाय चलतो मुद्दे को ट्विटर पर ट्रेंड करा रहे हैं. बड़ा सवाल यह है कि यह 60-40 आया कहां से, झारखंड की राजनीति में 60-40 का शाब्दिक चलन कहां से शुरू हुआ और इस शब्द का इजाद किसने किया.

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झारखंड के सियासत में जो मुद्दा सबसे ज्यादा ट्रेंडिंग में है और जिसने हेमंत सरकार की परेशानी भी बढ़ा रखी है, उसे खोजने वाले खुद हेमंत सरकार के लोग ही हैं. बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद ने रामगढ़ में हो रहे उपचुनाव के ठीक 1 दिन पहले उनके विधायक प्रतिनिधि की हत्या हो जाने के बाद जिस तरीके से गुस्सा निकाला था, उसमें उन्होंने साफ-साफ कहा था कि रामगढ़ में अपराधी और पुलिस के बीच 60-40 का रेशियो चल रहा है. अपनी ही सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए अंबा प्रसाद ने कह दिया कि अपराधी और पुलिस की मिलीभगत है.

यहां पर 60-40 का रेशियो फिक्स है. किसी के पास समय नहीं है जो जनता की बात सुन सके और यही वजह है कि कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है. अंबा प्रसाद ने जिस समय यह बात कही थी उस समय उनके विधायक प्रतिनिधि की हत्या हुई थी, गुस्सा लाजमी था. लेकिन जो शब्द उनके मुंह से निकला उसने पूरे झारखंड की सियासत में ही एक ऐसा मुद्दा खड़ा कर दिया है जो अब हेमंत सरकार के लिए गले की हड्डी बन गया है.

हेमंत सरकार द्वारा झारखंड नियोजन नीति और स्थानियता के मुद्दे को लेकर के जिस तरीके से कोर्ट ने पक्ष दिया उसके बाद से पूरे झारखंड में ही विरोध शुरू हो गया है. 5 लाख से ज्यादा युवाओं ने ट्विटर पर '#झारखंड में 60_40 नाय चलतो' बना करके सरकार के सामने नौकरी देने की बात को रखा और पूछा है कि रोजगार देने के लिए सरकार क्या काम कर रही है. 3 सालों में सरकार एक स्थानीय नीति नहीं ला पाई तो यह हमारे लिए सबसे खराब दिन है.

झारखंड में 60-40 नाय चलतो में यह भी लिखा जा रहा है कि जिस अच्छे दिन की बात कही जा रही है, वह हमें नहीं चाहिए. हमें 1985 वाला खराब दिन ही दे दीजिए. युवाओं ने इस मुद्दे को ट्विटर पर ट्रेंड क्या कराया बीजेपी को बैठे-बिठाए एक मुद्दा मिल गया. नियोजन नीति के इस मुद्दे को बीजेपी किसी तरीके से अपने हाथ से जाने नहीं देना चाह रही है. यही वजह है कि सोशल मीडिया से लेकर के सड़क पर युवाओं ने इसे मुद्दा बना रखा है, जबकि बीजेपी ने सदन के भीतर और सदन के बाहर इसी मुद्दे पर बहस भी किया है, हंगामा भी किया है और नारा भी लगाया है. मंगलवार को पूरे दिन की कार्यवाही ही इसी मुद्दे की और चर्चा की भेंट चढ़ी है.

झारखंड में 60-40 नाय चलतो मुद्दे के ट्रेंडिंग के सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय ने कहा झारखंड में रोजगार की जो स्थिति है उसमें निश्चित तौर पर युवा इस बात को लेकर के नाराज हैं कि नई नियोजन पॉलिसी में जिस 60-40 रेश्यो को लाया गया है. वह युवाओं को शायद नागवार गुजर रहा है, लेकिन एक बात साफ है कि पूरे झारखंड में जिस तरीके से इस मुद्दे को उठाया गया है वह कहीं ना कहीं सरकार के भीतर और सरकार की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल की टीस है जो सभी लोग रख रहे हैं.

हेमंत सोरेन ने जिस झारखंड नियोजन नीति और स्थानीयता के मुद्दे को जनता के सामने रखा है. उसमें कुछ नाराजगी तो जरूर है लेकिन जिस तरीके से अब यह मुद्दा ट्रेंडिंग में है अगर यह जल्द नहीं सुधरा तो निश्चित तौर पर सरकार के लिए जनता की नाराजगी और बढ़ेगी, जो हेमंत सोरेन सरकार के लिए ठीक नहीं कही जा सकती है. जिस तरीके से फिलहाल यह मुद्दा अभी चर्चा में है उसमें 60-40 का नाम लेने वाली बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद रही हैं, इसे ट्रेंड कराने वाले झारखंड के युवा हैं, और इसे सियासत का मुद्दा बनाकर बजाने में बीजेपी पूरे तौर पर जुट गई है. अब देखना है कि यह 60-40 के रेशियो वाली सियासत और क्या समीकरण खड़ा करती है और कब तक इस नारे का निदान हेमंत सरकार निकालकर के विपक्ष और जनता के सामने रखती है.

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