रांचीः कोरोना के चलते स्वास्थ्य विभाग ने बड़ा फैसला लिया है. सभी निजी अस्पतालों को न्यूनतम 50 प्रतिशत बेड कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए रिजर्व रखना होगा. इसके साथ ही मरीजों का समुचित इलाज करना होगा. झारखंड के स्वास्थ्य सचिव केके सोन ने सभी जिला उपायुक्तों को इस बाबत निर्देश जारी किया है. झारखंड में कोरोना से बिगड़ते हालात को लेकर नेपाल हाउस में आपात बैठक हुई. इसके बाद यह फैसला लिया गया. जिला उपायुक्तों से कहा गया कि वे जिलावार निजी अस्पताल संचालकों के साथ बैठक कर व्यवस्था सुनिश्चित कराएं.
निजी अस्पतालों को 50 प्रतिशत कोविड बेड आरक्षित करने का निर्देश, आपात बैठक के बाद फैसला - झारखंड स्वास्थ्य विभाग
झारखंड में पिछले कई दिनों से न सिर्फ कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है, बल्कि मौत का ग्राफ भी बढ़ने लगा है. इसके मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग ने बड़ा फैसला लिया है. विभाग ने राज्य के सभी निजी अस्पतालों में 50 प्रतिशत बेड कोविड मरीजों के लिए आरक्षित करने का निर्देश दिया है.
इसे भी पढ़ें-रांची में बढ़ते कोरोना को लेकर गठित कोषांगों की डीसी ने की समीक्षा, समंवय के साथ काम करने का निर्देश
सदर अस्पताल कोविड-19 अस्पताल में बदला
झारखंड में पिछले कई दिनों से न सिर्फ कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है, बल्कि मौत का ग्राफ भी बढ़ने लगा है. रांची की स्थिति दिन-ब-दिन भयावह होती जा रही है. निजी अस्पतालों में बेड नहीं मिलने के कारण मरीजों को भारी दिक्कत हो रही है. पैरवी करने के बाद मुश्किल से बेड उपलब्ध हो पा रहा है. अब राज्य के सभी निजी अस्पतालों में 50 प्रतिशत बेड आरक्षित होने से मरीजों को राहत जरूर मिलेगी. रही बात सरकारी स्तर पर तैयारी की तो रांची के सदर अस्पताल को कोविड-19 अस्पताल में कंवर्ट कर दिया गया है. इसके अलावा रिम्स में बेड की संख्या बढ़ाई जा रही है.
आम लोगों का कहना है कि निजी अस्पतालों की मनमानी की वजह से ज्यादा परेशानी हो रही है. अगर स्वास्थ विभाग ने 50 प्रतिशत बेड आरक्षित करने का निर्देश जारी कर दिया है तो फिर यह भी सुनिश्चित होना चाहिए कि किस अस्पताल में कितना बेड खाली पड़ा है. सभी निजी अस्पतालों को नोटिस बोर्ड में इसकी जानकारी हर दिन साक्षा करना चाहिए.