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रांचीः आरयू के कॉलेजों में पहली सूची की 40 फीसदी सीट खाली, दूसरी सूची जारी करने की तैयारी - आरयू के कॉलेजों में पहली सूची की 40 फीसदी सीट खाली

आरयू के कॉलेजों में पहली सूची की 40 फीसदी सीट खाली रह गई हैं, जबकि तीन सूची तक जारी किया जाना है. ऐसे में सत्र में देरी की आशंका है.

ranchi university
रांची विश्वविद्यालय

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Published : Sep 16, 2020, 11:00 PM IST

रांचीःआरयू के 2020-2021 में स्नातक पाठ्यक्रमों में नामांकन की स्थिति काफी खराब है.हालात ऐसी ही रही तो आने वाले समय में सीटें रिक्त रह जाएंगी. अभी पहली चयन सूची पर ही लगभग 40 प्रतिशत सीटें खाली रह गई हैं और दूसरी चयन सूची जारी करने की तैयारी चल रही है.जानकारी मिली है कि चयन सूची 18 सितंबर को जारी की जाएगी.

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जानकारी के मुताबिक कुछ कॉलेजों में तो पांच प्रतिशत नामांकन भी नहीं हुआ. इससे नए अकादमिक सत्र की शुरुआत में और विलंब की आशंका बन गई है. राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में इस बार चांसलर पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन नामांकन लिए जा रहे हैं. कोविड-19 गाइडलाइन के कारण शैक्षणिक प्रमाणपत्र का फिजिकल वेरिफिकेशन नहीं किया जा रहा है. छात्रों को एक ऑनलाइन अंडरटेकिंग भरना पड़ रहा है इसी के आधर पर उनका नामांकन हो जा रहा है, लेकिन कॉलेज खुलने के बाद प्रमाण पत्र गलत पाए जाने पर उनका नामांकन रद्द कर दिया जाएगा. अन्य विश्वविद्यालयों के मुकाबले रांची विश्वविद्यालय में अधिक नामांकन हुए हैं.लेकिन स्थिति यह है कि पहली चयन सूची पर महज 60 प्रतिशत नामांकन ही हो पाए.हालात यह है कि रांची विश्वविद्यालय के अंतर्गत 28 कॉलेजों में पहली चयन सूची पर 10532 नामांकन हुए. पहली सूची में 17000 विद्यार्थियों की जारी की गई थी. नामांकन प्रक्रिया सितंबर तक चलनी थी और नए अकादमिक सत्र की शुरुआत अक्टूबर से होना था. लेकिन अभी पहली चयन सूची पर ही सीटें नहीं भरी हैं और विश्वविद्यालय को दूसरी चयन सूची जारी करनी है. इसके बाद बची हुई सीटों के लिए तीसरी सूची जारी की जाएगी. अगर नामांकन की यही रफ्तार रही तो नया अकादमिक सत्र जल्द शुरू करना मुश्किल हो जाएगा.

चांसलर पोर्टल से नामांकन अनिवार्य

विश्वविद्यालयों को नामांकन चांसलर पोर्टल के माध्यम से ही लेना है, इसलिए इसमें ऑफलाइन का विकल्प भी नहीं दिया जा सकता. कुछ कॉलेजों के प्राचार्यों ने कहा कि ऐसी ही स्थिति रही तो नामांकन में विलंब हो सकता है. नामांकन की समय सीमा बढ़ानी होगी. इतने कम विद्यार्थियों में हम अकादमिक सत्र की शुरुआत नहीं कर सकते हैं.

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