रांची:किसी भी राज्य में विकास के लिए सड़कों की कनेक्टिविटी यानि परिवहन सुविधाओं का खास महत्व रहता है. आसान भाषा में कहें तो जिस राज्य या क्षेत्र की सड़कें जितनी अच्छी होगी उस क्षेत्र का विकास उतनी तेजी से होगा. इसके पीछे मुख्य वजह माल ढुलाई में लगने वाला समय है. सड़कें अच्छी रही तो माल ढुलाई में कम वक्त लगेगा और प्रोडक्ट भी मार्केट में जल्दी भेजा जा सकेगा.
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3290 किलोमीटर पहुंच गया है एनएच का दायरा
साल 2000 में बिहार से अलग होकर बने झारखंड में केंद्र सरकार की सहयोग से हाल के वर्षों में एनएच निर्माण कार्य में तेजी आई है. हालांकि, आज भी कई प्रोजेक्ट जमीन अधिग्रहण नहीं हो पाने के कारण लटके हैं. रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान समय में झारखंड में 30 नेशनल हाइवे है. राज्य गठन के वक्त झारखंड में 1606 किलोमीटर नेशनल हाइवे था जो आज 3290 किलोमीटर पर पहुंच गया है.
राष्ट्रीय राजमार्ग भारत सरकार के नियंत्रण में आता है. 2019-20 के दौरान 1712 करोड़ की लागत से राज्य में चल रहे 16 प्रोजेक्ट के 269 किलोमीटर नेशनल हाइवे सड़क निर्माण कार्य पूरे किये गए हैं. 2020-21 में 141.54 किलोमीटर सड़क बनाने का लक्ष्य निर्धारित था जिसमें विभाग को काफी सफलता मिली है. वर्तमान में विभाग द्वारा 4 लेन 898 किलोमीटर NH सड़क के लिए डीपीआर तैयार की गई है. इसके अलावा विभाग ने 339 किलोमीटर सड़क बना लिया है जिसमें 4 लेन बरही हजारीबाग सेक्शन NH 33 शामिल है.
वर्तमान में 4 लेन और 6 लेन की 422KM सड़कें बन रही है. इसके अतिरिक्त जल्द ही 4 लेन की 162 किलोमीटर नई सड़क बननी शुरू होने वाली है. नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के मुख्य महाप्रबंधक सह क्षेत्रीय अधिकारी शैलेंद्र कुमार मिश्र ने दावा किया है कि आने वाले समय में झारखंड में एनएच निर्माण में और भी तेजी आएगी. खासकर भारत माला प्रोजेक्ट से देश के अन्य राज्यों से कनेक्टिविटी और भी सुगम हो जाएगा.
एनएच पर अनलिमिटेड राजनीति
राज्य में नेशनल हाइवे की देखरेख, निर्माण और राज्य सरकार से समन्वय बनाने के लिए 2015 में झारखंड राज्य राजमार्ग प्राधिकरण का गठन किया गया है. लेकिन एनएच निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण बड़ा मुद्दा है जो राज्य सरकार के जिम्मे है. केंद्र सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में एनएच निर्माण के लिए झारखंड को 10 हजार करोड़ निर्धारित किया है लेकिन जमीन अधिग्रहण नहीं हो पाने के कारण यह पैसा यूंही पड़ा रह जायेगा. इधर, एनएच की बदहाली और निर्माण कार्य में हो रही देरी पर राजनीति भी होती रही है. सत्ता पक्ष जहां केंद्र और पूर्ववर्ती सरकार को इसके लिए दोषी मान रही है वहीं विपक्षी दल बीजेपी के विधायक सत्तारूढ़ दल कांग्रेस झामुमो को दोषी ठहरा रहे हैं. बीजेपी विधायक सीपी सिंह ने सरकार पर जमीन अधिग्रहण के मुद्दे पर उदासीन होने का आरोप लगाया है. वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने बीजेपी पर पलटवार किया है.
ये प्रोजेक्ट हैं लंबित
- NH 80- 4 लेन मीरजाचौकी फरक्का सेक्शन 215 किलोमीटर से 260 किलोमीटर तक
- NH75-शंखा से खजुरी पथ पर 196.87 किलोमीटर से 219.60 किलोमीटर तक
- NH 98-हरिहरगंज से परवा पथ पर 23.284 किलोमीटर से 57.049 किलोमीटर तक
- NH23- पलमा से गुमला 26 किलोमीटर से 89.17 किलोमीटर तक
झारखंड में प्रमुख टोल प्लाजा. झारखंड को दो नए एक्सप्रेस-वे की सौगात
झारखंड को दो नए एक्सप्रेस-वे की सौगात मिली है. 'भारत माला प्रोजेक्ट' के तहत राज्य में दो नये एक्सप्रेस-वे बनेंगे. दोनों एक्सप्रेस-वे 'ग्रीन फील्ड प्रोजेक्ट' के रूप में तैयार किए जाएंगे. पहला एक्सप्रेस-वे छत्तीसगढ़ के रायपुर से बिलासपुर-गुमला-रांची-बोकारो होते हुए धनबाद तक बनेगा. इसकी लंबाई करीब 707 किलोमीटर होगी. दूसरा एक्सप्रेस-वे ओडिशा के संबलपुर से रांची तक बनेगा. इसकी लंबाई 146.2 किलोमीटर होगी. ग्रीन फील्ड प्रोजेक्ट के तहत बनने वाली सड़कें पूरी तरह से नई होगी. इसमें कहीं सिक्सलेन और कहीं-कहीं फोरलेन सड़कें बनेंगी.
जमीन अधिग्रहण के चलते लटके हैं कई प्रोजेक्ट
झारखंड में नेशनल हाइवे में पुराने लटके प्रोजेक्ट के पीछे कई कारण हैं. इसमें जमीन अधिग्रहण के दौरान बड़ी समस्या आती है. रैयतों को समय पर मुआवजा नहीं मिल पाता है. इसके अलावा राज्य की भौगोलिक बनावट भी सड़कों के निर्माण में देरी का कारण है. वन और पहाड़ी क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण बगैर फॉरेस्ट और पर्यावरण क्लियरेंस के नहीं हो सकता है. इस प्रक्रिया को पूरा करने में कई महीने लग जाते हैं. प्रशासनिक प्रक्रिया को पूरी करने में आ रही अड़चनों को ठीक किए बगैर समय पर प्रोजेक्ट को पूरा करना बेहद कठिन है.