रांची: परीक्षा संचालन नियमावली में संसोधन करने के बाद राज्य में होने वाली नियुक्ति परीक्षाओं में क्षेत्रीय और जनजातीय भाषा का महत्व बढ़ गया है. राज्य मे नौकरी करने की इच्छा रखने वालों को क्षेत्रीय और जनजातीय भाषा का ज्ञान होना जरुरी है. पर राज्य में इसकी पढ़ाई की जो स्थिति है वो स्कूल स्तर से लेकर विश्वविद्यालय तक शिथिल है. पढाई जैसे तैसे करायी जा रही है.
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राज्य के विश्वविद्यालयों में क्षेत्रीय और जनजातीय भाषा की पढ़ाई कराने वाले शिक्षकों की भरी कमी है. इस कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार प्रयास कर रही है. सात में से चार विश्वविद्यालय में 267 शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है. जिन विवि में क्षेत्रीय और जनजातीय भाषा के शिक्षकों की नियुक्ति होनी है वो कोल्हान विवि, विभावि विवि, बीबीकेएमयू और सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका है. इसके अतिरिक्त डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विवि, रांची विवि और नीलाम्बर पीताम्बर विवि से नियुक्ति के लिए प्रस्ताव मांगा गया है.
विश्वविद्यालयों में टीआरएल की पढ़ाई और कार्यरत शिक्षक
- रांची विश्वविद्यालय के विभाग और कॉलेजों में जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा के कुल 165 पद स्वीकृत हैं. इसमें 32 स्थायी शिक्षक हैं. वहीं 120 घंटी आधारित शिक्षक हैं.
- कोल्हान विश्वविद्यालय में 5 क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई होती है. यहां शिक्षकों के 8 स्वीकृत पद हैं. जिसमें कार्यरत शिक्षकों की संख्या केवल तीन हैं. यहां 159 शिक्षकों के पद सृजन की प्रक्रिया चल रही है.
- विनोबा भावे विश्वविद्यालय में क्षेत्रीय और जनजातीय भाषा के तहत सात भाषाओं की पढ़ाई करायी जाती है. इसके लिए यहां क्षेत्रीय और जनजातीय भाषा का एक छह महीने का कोर्स भी चल रहा है. यहां 49 शिक्षकों के नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है.
- सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका में क्षेत्रीय भाषा के 18 स्वीकृत पद हैं. जिसमें छह शिक्षक हैं जो घंटी आधारित हैं. इस विवि में तीन क्षेत्रीय और जनजातीय भाषा के 35 शिक्षकों की नियुक्ति की कार्रवाई की जा रही है.
- डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विवि में 20 स्वीकृत पदों के विरुद्ध 05 शिक्षक कार्यरत हैं. यहां अभी पद सृजन की कार्रवाई ही चल रही है.
- नीलाम्बर पीताम्बर विश्वविद्यालय में क्षेत्रीय भाषा के 08 पद स्वीकृत हैं. जिनमें केवल दो शिक्षक काम कर रहे हैं. यहां नियुक्ति के लिए प्रस्ताव मांगा गया है.
- विनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय में खोरठा, कुरमाली एवं संथाली विषय की छह माह का कोर्स कराया जाता है. यहां 24 शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है.