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फर्जी कागजात बना बैंकों को लगाते थे चूना, दो गिरफ्तार

फर्जी कागजातों के आधार पर बैंकों से गाड़ी फाइनांस कराने वाले गिरोह के दो लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. इन अपराधियों ने 2019 में यूनियन बैंक डोरंडा, एचडीएफसी बैंक जमशेदपुर और केनरा बैंक जमशेदपुर से तीन गाड़ियां फाइनांस करायी थी, जिसे बाद में बेच दी और बैंक का किस्त भी जमा नहीं कराया.

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Published : Jul 11, 2020, 8:16 PM IST

2 criminals arrested in ranchi
रांची में दो अपराधी गिरफ्तार

रांची: पुलिस ने फर्जी कागजातों के आधार पर बैंकों से कार फाइनांस कराकर उसे बाजार में बेच देने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. पुलिस ने गिरोह के दो अपरधियों को धर दबोचा है.

कई बैंकों को लगाया चुना

पकड़े गए दोनों आरोपी रांची और जमशेदपुर के विभिन्न बैंकों से गाड़ी फाइनांस कराकर उसकी बिक्री कर चुके थे. गिरफ्तार अभियुक्तों में राकेश कुमार और रूपेश सिंह शामिल हैं. इन अपराधियों ने 2019 में यूनियन बैंक डोरंडा, एचडीएफसी बैंक जमशेदपुर और केनरा बैंक जमशेदपुर से तीन गाड़ियां फाइनांस करायी थी. अभियुक्तों के पास से फाइनांस करायी गई टीयूभी और स्कार्पियो गाड़ी भी बरामद की गई है. पुलिस अन्य गाड़ियों की तलाश कर रही है.

जब्त कागजात

डोरंडा थाना प्रभारी शैलेश प्रसाद ने बताया कि दोनों आरोपी शातिर अपराधी हैं. इनके पास कई नामों के फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड समेत अन्य दस्तावेज मिले हैं. इससे यह पता चलता है कि फर्जी कागजात के आधार पर दोनों ने रांची समेत अन्य जिलों के बैंकों से भी गाड़ी फाइनांस कराकर उसे बेच चुके हैं. पूछताछ में भी आरोपियों ने अपने गुनाह कुबूल किया है. आरोपियों ने गिरोह के अन्य साथियों के भी नाम का खुलासा किया है. इधर, पुलिस उन आरोपियों की तलाश में छापेमारी भी कर रही है. उन अपराधियों के पकड़े जाने के बाद और भी खुलासे हो सकते हैं.

गाड़ी फाइनांस कराने के बाद बदल देता था स्थान

पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि दोनों अपराधियों ने अलग-अलग नाम के कई आधार कार्ड समेत अन्य दस्तावेज बना कर रखे थे. यूनियन बैंक, केनरा बैंक और एचडीएफसी बैंक से कुल तीन गाड़ियां फाइनांस करायी थी. तीनों बैंकों में मुकेश कुमार, सुनिल साहु और संजीव कुमार शर्मा के नाम से फर्जी कागजात बनाकर आवेदन जमा किया था. आरोपियों ने आवेदन से पहले रांची और जमशेदपुर में घर और प्रतिष्ठान भी रेंट में ले लिया था, ताकि जांच करने आए बैंक के अधिकारियों को शक नहीं हो. जब गाड़ी फाइनांस कराने के बाद एक माह के भीतर आरोपी उसे बेच दिया था. किस्त जमा नहीं होने पर जब आवेदकों के पते की जांच की गई तब बैंक को यह जानकारी मिली कि दोनों के सारे कागजात फर्जी हैं. इसके बाद यूनियन बैंक ने दोनों आरोपियों के खिलाफ डोरंडा थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी.

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