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झारखंड आर्म्ड फोर्स का 141वां स्थापना दिवस, गोरखा जवानों की वीरता को किया गया याद - झारखंड आर्म्ड फोर्स का 141 वां स्थापना दिवस

झारखंड आर्म्ड फोर्स का 141वां स्थापना दिवस मनाया गया. जहां गोरखा जवानों की वीरता को याद किया गया. इस बार कोरोना संक्रमण की वजह से आनंद मेले का आयोजन नहीं किया जा रहा है.

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झारखंड आर्म्ड फोर्स का 141 वां स्थापना दिवस

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Published : Jan 5, 2021, 1:20 PM IST

Updated : Jan 5, 2021, 1:50 PM IST

रांची: झारखंड आर्म्ड फोर्स वन का 141वां स्थापना दिवस समारोह रांची के जैप ग्राउंड भव्य तरीके से बनाया गया. झारखंड आर्म्ड फोर्स का इतिहास काफी गौरवमय रहा है. झारखंड में वीआईपी सुरक्षा की बात हो या फिर नक्सलियों से लोहा लेने की, इस बटालियन के जवानों ने अपने जीवन का बलिदान देकर भी अपना कर्तव्य निभाया है.

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भव्य परेड का आयोजन
सबसे पहले जैप ग्राउंड में स्थित शहीद स्थल पर झारखंड के डीजी सहित सभी वरीय पुलिस अधिकारियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की. इस के बाद जैप प्लाटून और पाइप बैंड डिस्प्ले के माध्यम से सभी सम्मानित अतिथियों को सलामी दी. आकर्षक परेड ने मौके पर उपस्थित सभी का दिल जीत लिया.
मौत से नहीं डरता गोरखा- डीजी
समारोह के मुख्य अतिथि गृह रक्षा वाहिनी एवं अग्निशमन सेवा के डीजी नीरज सिन्हा ने कहा कि अगर कोई यह कहता है कि वह मौत से नहीं डरता है तो वह या तो झूठ बोल रहा है या फिर वह गोरखा है. गोरखा जवानों ने अपने अदम्य साहस के बल पर झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ कई अहम और बड़ी सफलताएं दिलाई है. राज्य में वीवीआईपी और वीआईपी की सुरक्षा का सारा जिम्मा इन्हीं के कंधे पर है और वे इसे बखूबी निभाते आये है.
डीजीपी ने सुनाई अपनी दास्तान
झारखंड के डीजीपी एमवी राव ने बताया कि बिहार के भागलपुर दंगे के समय में वहां के एएसपी हुआ करते थे. उस दौरान उनका बॉडीगार्ड एक गोरखा जवान था. अगर दंगाईयों की गोली अपने सीने पर लेकर गोरखा जवान ने उन्हें नहीं बचाया होता तो शायद आज वे जिंदा नहीं रहते. जैप के जवान वीरता के प्रतीक हैं.



गौरवमई इतिहास है जैप का
जैप वन के कमांडेंट अनीश गुप्ता ने जैप एक के गौरवमयी इतिहास को साझा करते हुए बताया कि अंग्रेजों के शासन काल में इस वाहिनी की स्थापना बंगाल मिलिट्री पुलिस के नाम से हुई थी. इस वाहिनी की प्रतिनियुक्ति तत्कालीन बंगाल प्रांत, बिहार, ओडिशा को मिलाकर की जाती रही. वर्ष 1950 में इस महीने का नाम बदलकर गोरखा मिलिट्री रखा गया. इस वाहिनी की प्रतिनियुक्ति नियमित रूप से देश के विभिन्न राज्यों में की जाती रही. जिसमें वर्ष 1914 से 1911 तक दिल्ली दरबार, वर्ष 1915 में बंगाल, वर्ष 1917 में मयूरभंज, मध्य प्रदेश, 1918 में सरगुजा मध्य प्रदेश, 1953 में जम्मू कश्मीर. वहीं 1971 में भारत-पाक युद्ध के समय इस वाहिनी को त्रिपुरा के आंतरिक सुरक्षा कार्य के लिए प्रतिनियुक्त किया गया था. साल 2000 में जब झारखंड अलग राज्य बना तब इस वाहिनी का नाम बदलकर झारखंड सशस्त्र पुलिस वन रखा गया.


कोरोना की वजह से आनंद मेले का आयोजन नहीं
कोरोना संक्रमण की वजह से इस बार आनंद मेले का आयोजन नहीं किया जा रहा है. इससे पहले स्थापना दिवस पर आनंद मेले का आयोजन किया जाता रहा, जिसमें काफी भीड़ हुआ करता था.

Last Updated : Jan 5, 2021, 1:50 PM IST

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