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टुसू महोत्सव सह किसान सम्मान समारोह, कृषि मंत्री ने किसानों को किया सम्मानित - रामगढ़ में टुसू महोत्सव का आयोजन

रामगढ़ में टुसू महोत्सव सह किसान सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. इस समारोह में शिरकत करने कृषि मंत्री और जिला की दो विधायक पहुंचीं. कृषि मंत्री ने किसानों को सम्मानित भी किया.

tusu festival cum farmer honor ceremony organized in ramgarh
कृषि मंत्री

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Published : Jan 17, 2021, 7:29 PM IST

रामगढ़: जिला में दुलमी प्रखंड के सिरु बाजार में टुसू महोत्सव सह किसान सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. जिसमें कृषि मंत्री बादल पत्रलेख बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. इस समारोह में रामगढ़ विधायक ममता देवी और बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद भी मौजूद रहीं. इस मौके पर कृषि मंत्री ने क्षेत्र के किसानों को सम्मानित भी किया.

टुसू पर्व का महत्व

टुसू का शाब्दिक अर्थ कुंवारी है. वैसे तो झारखंड के सभी पर्व-त्योहार प्रकृति से जुड़ा है. टुसू पर्व को नारी सम्मान के रूप में भी मनाया जाता है. लगभग एक माह तक चलने वाले इस पर्व के दौरान कुंवारी कन्‍याओं की भूमिका सबसे अधिक होती है. कुंवारी कन्याएं टुसू की मूर्ति बनाती हैं और उसकी सेवा-भावना, प्रेम-भावना, शालीनता के साथ पूजा करती हैं. इसके साथ ही लड़कियां विभिन्न प्रकार के टुसू गीत भी गाती हैं.

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कार्यक्रम के दौरान कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों को उनके लागत का समर्थन मूल्य दिया जाएगा. इसके साथ ही अगले साल से किसान को पैक्स में धान बेचने के लिए परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी क्योंकि अब उनका अपना गोदाम होगा. मंत्री ने किसानों की समस्या को देखते हुए दुलमी में एक कोल्ड स्टोरेज बनाने की घोषणा की है. कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने यह भी कहा कि झारखंडियों के सभी पर्व त्यौहार प्रकृति और कृषि पर आधारित है. पेड़-पौधों के महत्त्व सृजन और भाई बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक बांधना पशुधन के महत्व का पर्व है. उसी तरह टुसू अन्न फसल के महत्व का पर्व है. झारखंड सरकार किसानों के हित में कार्य कर रही है.


टुसू पर्व है सांस्कृतिक विरासत
विधायक ममता देवी ने कहा कि टुसू पर्व हमारे झारखंडवासियों की सांस्कृतिक विरासत है. प्राकृतिक की उपासना है मकर सक्रांति के साथ अनेक पौराणिक मान्यताएं हैं. सूर्यदेव की मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही शुभ कार्य का लग्न शुरू हो जाता है. वहीं, बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद ने कहा कि टुसू पर्व झारखंडियों के सबसे महत्वपूर्ण पर्व है. यह जाड़ों में फसल कटने के बाद 15 दिसंबर से लेकर मकर संक्राति तक लगभग एक महीने तक मनाया जाता है.

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