जानकारी देते संवाददाता राजेश कुमार रामगढ़: भारत में आज भी कई ऐसे मंदिर हैं जो अपने रहस्यमयी और चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध हैं. इनमें से कई ऐसे मंदिर हैं जिनके रहस्यमय और चमत्कारों की जानकारी अभी तक लोगों तक पहुंच भी नहीं पाई है. इन्हीं में से एक है रामगढ़ जिले के मांडू प्रखंड के सांडी बोगाबार में स्थित टूटी झरना का शिव मंदिर.
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भगवान भोलेनाथ का यह मंदिर अपने रहस्यमय के लिए काफी प्रसिद्ध है. इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि मंदिर के उतर दिशा में शिवलिंग है. वहीं शिवलिंग के पश्चिम दिशा में भगवान विष्णु चतर्भुज धारण किए हुए हैं, जिनकी नाभि से मां गंगा अपने दोनों हाथों से 365 दिन 24 घंटे शिवलिंग पर जलाभिषेक करती हैं. यह पानी कहां से आ रहा है, यह आज तक किसी को नहीं पता चल सका है.
खुदाई में जमीन से निकला था मंदिर:पूर्वजों द्वारा जो जानकारी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चलते आ रही है, उसके अनुसार, सन 1925 ई. में अंग्रेजों ने टूटी झरना के इलाके में बरकाकाना से गोमो तक रेल लाइन बिछाने की सोची. इसका काम एक ठेकेदार को दिया गया. काम करने के दौरान मजदूर नाले के बगल में पानी के लिए खुदाई कर रहे थे. इसी बीच उन्हें जमीन के अंदर गुंबदनुमा चीज दिखाई पड़ी. जब पूरी खुदाई की गयी तो उन्हें मंदिर का स्वरूप दिखा.
मंदिर के अंदर भगवान भोले की शिवलिंग मिली और ठीक उसके ऊपर भगवान विष्णु की सफेद रंग की प्रतिमा और प्रतिमा की नाभि से मां गंगा अपने आप दोनों हाथों की हथेलियों से शिवलिंग पर जल गिरा रही थीं. मंदिर के अंदर गंगा मां की प्रतिमा कैसे आयी और वहां पानी कहां से आ रहा है? यह अब तक पता नहीं चल पाया है. मंदिर का निर्माण किसने किया, यह भी किसी को नहीं पता. हालांकि जिला प्रशासन द्वारा आसपास के क्षेत्रों को अभी विकसित किया जा रहा है. लेकिन जितनी पहचान इस मंदिर को मिलनी चाहिए, वह अभी भी नहीं मिल पाई है.
चौबीस घंटे शिवलिंग पर गिरता है जल: मंदिर के पुजारी ने बताया कि मंदिर के अंदर गंगा की प्रतिमा से कैसे आपरूपी पानी निकल रहा, यह पानी कहां से आ रहा है, यह अभी तक रहस्य बना हुआ है. यह जलधारा शिवलिंग पर चौबीस घंटे गिरती है. सैकड़ों सालों से शिवलिंग पर लगातार पानी गिरने के बाद भी शिवलिंग को किसी तरह की क्षति नहीं पहुंची है. इस मंदिर में शिवलिंग के ठीक ऊपर मां गंगा विराजमान हैं. यह जल कहां से आता है, इस बात का पता लगाने की बहुत कोशिश की गयी, लेकिन अब तक कामयाबी नहीं मिली. इसे लोग महादेव का चमत्कार मानते हैं और दूर-दूर से लोग यहां पूजा करने आते हैं.
शोधकर्ताओं को भी कुछ नहीं लगा हाथ: यहां पर कई शोधकर्ता भी आए और उन्होंने जानने का प्रयास किया कि आखिर यह पानी कहां से आ रहा है. लेकिन उनको भी इस रहस्य का पता नहीं चला. कुछ सालों पहले मंदिर परिसर में पानी के लिए दो चापाकल लगाए गए हैं, जिससे लोगों को पानी निकालना नहीं पड़ता है. चौबीसों घंटे पानी की मोटी धारा खुद गिरती रहती है. लोग इसे भगवान का चमत्कार मानते हैं. ठीक मंदिर के बगल में एक छोटी नदी बहती है, लेकिन इस नदी में नाममात्र का ही पानी रहता है.
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मंदिर में आने वाले भक्त इसे चमत्कार मानते हैं. उनकी मान्यता है कि भोले बाबा उनकी मन की मुराद पूरी करते हैं. इसी को लेकर खासकर सावन माह में श्रद्धालुओं की लंबी कतार इस मंदिर में लगी रहती है और भक्त भोले बाबा का जलाभिषेक करते हैं. गर्मी के दिनों में जब आसपास के कुआं और हैंडपंप सूख जाता है. उस दौरान भी यह जल श्रोत नहीं सूखता.
मंदिर की संरचना भी है बेहद खास: इस मंदिर की संरचना को देखें तो यह पाताल शिव हैं. उतर दिशा में नदी और सामने शमशान है. जिस वजह यह मान्यता है कि जो निःसंतान हैं और जिनके शरीर में रोग वयाधि हैं, वे अगर शिवलिंग पर एक लोटा जल का अभिषेक करते हैं तो साल भर के अंदर ही उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है. यहां पहुंचे श्रद्धालुओं का मानना है कि बाबा भोले की कृपा से उनकी मनोकामना पूरी होती है.