रामगढ़: जिले में मनरेगा घोटाला का मामला सामने आया है. मनरेगा योजनाओं में मोटरसाइकिल, ट्रेलर और बोलेरो से ईट बालू और सीमेंट सहित अन्य सामग्री की आपूर्ति दिखाएं जाने का मामला भी सामने आया है. जो कभी भी संभव नहीं है.
विस्तार से देखिए पूरी खबर
मनरेगा योजना में घोटाला
आरटीआई द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना के आधार पर रामगढ़ जिले में वर्ष 2015-16 में मनरेगा योजनाओं में लाखों के घोटाला किए जाने का खुलासा हुआ है. आरटीआई से इस बात का भी खुलासा हुआ है कि मनरेगा योजनाओं में ईंट, बालू, सीमेंट और अन्य सामग्री मोटरसाइकिल, ट्रेलर और बोलेरो से दुलाई दिखाई गई है.
लीपापोती में लगे हैं अधिकारी
मनरेगा योजनाओं में घोटाले पर घोटाला हो रहा है, लेकिन संबंधित अधिकारी घोटाले को रोकने और दोषियों पर कार्रवाई करने के बदले मामले की लीपापोती करने में लगे हुए हैं. रामगढ जिला में मनरेगा योजनाओं में गड़बड़ी पतरातू और गोला प्रखंड से आ रहा है, जहां मनरेगा के लाभुकों के ठिकाने पर मोटरसाइकिल, ट्रेलर, कोरियर वैन ओर बोलेरो से ईंट, बालू, सीमेंट सहित अन्य सामग्रियां पहुंचाई गई है.
चारा घोटाला की याद दिला रहा ये घोटाला
यही नहीं मनरेगा के लिए सामाग्री ढोने वाले ट्रेक्टर ने एक दिन में 9 से 10 फेरे तक लगा दिए और करीब तीन लाख की सामाग्री एक ही दिन में पहुंचा दिए. मनरेगा योजनाओं में मची लूट और घोटाला ऐसा है कि पहली नजर में सबकुछ पशुपालन घोटाले की याद दिला दे रहा है.
रामगढ़ के पतरातू प्रखंड में कई लाभुक के घर पर रविंद्र कुमार महतो, जय मां सरना वैष्णवी इंटरप्राइजेज और भवानी गोप के द्वारा ईंट, बालू, सीमेंट आदि की आपूर्ति की गई थी, लेकिन जिस नंबर के वाहन से मनरेगा सामाग्री की आपूर्ति की गयी वह एक मोटरसाइकिल, ट्रेलर और बोलेरो गाड़ी का नंबर आरटीआई में दर्शाया गया है.
इसी तरह गोला के आपूर्तिकर्ताओं मेघनाथ महतो ज्योति सप्लायर गोविंद मुंडा संतोष कुमार आदि ने लाभुकों के ठिकाने पर बालू, सीमेंट, ईट पहुंचाने में इस्तेमाल किए गए जिस वाहन का नंबर दिया है वह सभी ट्रेलर कोरियर वैन का नंबर है. जो कभी भी कूप बनाने के लिए ईंट, बालू, सीमेंट नहीं पहुंचा सकता.
कई लाभुकों ने बताया कि उनके द्वारा खुद निर्माण सामग्री खरीद कर मिनी ट्रक और ट्रैक्टर से निर्माण स्थल तक पहुंचाया जाता है, जबकि इसका भुगतान आपूर्तिकर्ता दिखाकर अन्य लोगों को कर दिया जाता है, जिससे भ्रष्टाचार और घोटाला करने वालों का मनोबल काफी बढ़ जाता है.
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इस पूरे मामले में जिले के डीडीसी ने कहा कि पूरे मामले की जांच करवाई जाएगी और दोषी लोगों को छोड़ा नहीं जाएगा. गड़बड़ी पाए जाने पर आरोपियों पर केस दर्ज किया जाएगा. जानकारी के अनुसार मनरेगा के तहत राज्य में कुआं निर्माण, तालाब निर्माण, मुर्गी शेड का निर्माण, बकरी शेड का निर्माण होता है. इसके तहत लाभुक को दो तरह से पैसों की आपूर्ति होती है. लाभुक को लेबर कॉस्ट और आपूर्ति सामान की राशि अलग-अलग मिलती है. लेबर कॉस्ट सीधे लाभुक को दिया जाता है, जबकि सामाग्री के कॉस्ट वेंडर यानी आपूर्तिकर्ता को दी जाती है. आपूर्तिकर्ता को भुगतान से पहले पंचायत को पूरी लिस्ट देनी होती है और इसी लिस्ट में चोरी की गुंजाईश होती है. हालांकि, संबंधित अधिकारी कहते हैं कि वे ऐसी घटनाओं की जांच करायेंगे.