रामगढ़:मार्च का महीना खत्म होते ही देसी फ्रीज की डिमांड बढ़ जाती थी. देशी फ्रीज का मतलब तो नहीं समझे होंगे आप. अरे भाई मिट्टी का घड़ा. जिले में कुम्हार पहले से ही इन मिट्टी के बर्तनों को बनाने में लग थे और इसे बेचकर परिवार का पालन-पोषण करते थे, लेकिन अचानक हुए लॉकडाउन से इनका पूरा धंधा चौपट हो गया है. लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं. इसी कारण इन मिट्टी के बर्तनों की बिक्री भी नहीं हो रही है.
बर्तन खरीदने के लिए नहीं पहुंच रहे हैं कोई ग्राहक
कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन से कुम्हारों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. उनके बनाए हुए मिट्टी के बर्तन खरीदने के लिए कोई ग्राहक ही नहीं पहुंच रहे हैं, जिससे उनकी स्थिती दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है. कुम्हारों ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा कि जनवरी से ही वो मिट्टी के बर्तन बनाने में जुट जाते हैं और गर्मी आते ही इसकी बिक्री शुरू हो जाती थी, लेकिन इस साल कोरोना वायरस के कारण लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं. इस वजह से एक महीने से उनके बर्तन जस के तस पड़े हुए हैं. कोई ग्राहक इसे खरीदने के लिए नहीं आ रहा है.
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