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रजरप्पा मंदिर में नमामि गंगे परियोजना के तहत कार्यक्रमों का आयोजन, दिखी जल संरक्षण की झलक

नमामि गंगे योजना के अंतर्गत रामगढ़ में 16 मार्च से 31 मार्च तक विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. इसके तहत लोगों को गंगा और उसकी सहायक नदियों सहित अन्य नदियों को भी स्वच्छ रखने के प्रति जागरूक किया जा रहा है. गंगा महोत्सव को लेकर भैरवी नदी के तट को दीपों से सजाया गया और जगह-जगह आकर्षक रंगोली भी बनाई गई थी.

Rangoli programs organized under Namami Gange scheme
नमामि गंगे योजना के अंतर्गत रंगोली कार्यक्रमों का आयोजन किया गया

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Published : Mar 23, 2021, 10:06 AM IST

Updated : Mar 23, 2021, 10:23 AM IST

रामगढ़: नमामि गंगे योजना के अंतर्गत रामगढ़ जिले में 16 मार्च से 31 मार्च तक विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. इसके तहत लोगों को गंगा और उसकी सहायक नदियों सहित अन्य नदियों को स्वच्छ रखने के प्रति जागरूक किया जा रहा है. इसी क्रम में जिला प्रशासन रामगढ़ की ओर से दामोदर और भैरवी नदी के संगम पर स्थित देश के प्रशिद्ध शिद्धपीठ मां छिन्नमस्तिके मंदिर परिक्षेत्र में रंगोली, दीपोत्सवस और गंगा आरती सहित अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया गया.

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रंगोली में दिखी जल संरक्षण और नमामि गंगे योजना की झलक

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलित कर की गई. गंगा महोत्सव को लेकर भैरवी नदी के तट को दीपों से सजाया गया और जगह-जगह आकर्षक रंगोली भी बनाई गई थी. उपायुक्त ने लोगों से नदियों को स्वच्छ रखने की अपील की. आंगनबाड़ी सेविकाओं और स्वयं सहायता समूह की दीदियों की ओर से बनाई गई रंगोली, जल संरक्षण और नमामि गंगे योजना को दर्शा रहा था. डीसी सहित अन्य अधिकारी मां छिन्नमस्तिके की संध्या आरती में भी शामिल हुए और माता के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया.


क्या बोले उपायुक्त संदीप सिंह

उपायुक्त संदीप सिंह ने कहा कि नमामि गंगे योजना के तहत रामगढ़ में 16 मार्च से 31 मार्च तक विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. कार्यक्रमों के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लोगों को दामोदर, भैरवी सहित अन्य नदियों को स्वच्छ रखने के लिए जागरूक करने का कार्य किया जा रहा है. इस संबंध में आप सभी जिला वासियों से यही अपील है कि जब तक हम सब स्वयं सामने नहीं आएंगे तब तक हम हमारी नदियों को साफ नहीं कर सकेंगे. एक समय था जब क्षेत्रों में बड़ी संख्या में तालाब, पोखर दिखाई देते थे. समय के साथ-साथ अब इनकी संख्या भी कम होती जा रही है या जल के दुरुपयोग के कारण वे सूख गए हैं. ऐसे में हमें जल संरक्षण की हर विधि का भरपूर इस्तेमाल करना होगा और वर्षा जल सहित अन्य माध्यमों से निकलने वाले जल का भी संचयन करना होगा.

Last Updated : Mar 23, 2021, 10:23 AM IST

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