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दम तोड़ती नजर आ रही कोरोना वॉरियर्स आउटसोर्सिंग वर्कर की हिम्मत, 6 महीने से नहीं मिला वेतन

रामगढ़ में आउटसोर्सिंग वर्कर को पिछले 6 महीने से वेतन नहीं मिला है. स्वास्थ्य विभाग में शिवा फाउंडेशन के जरिए करीब 350 महिला और पुरुष आउटसोर्सिंग के तहत जिले में कार्यरत हैं. ये वर्कर जिले में डॉक्टरों और नर्सों के साथ मिलकर काम करते हैं. ऐसे में इनका योगदान कोरोना महामारी में किसी से कम नहीं है लेकिन प्रशासन का इनकी ओर कोई ध्यान नहीं है.

Outsourcing workers in Ramgarh not being paid
आउटसोर्सिंग वर्कर को 6 महीने से नहीं मिला वेतन

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Published : May 14, 2020, 8:07 PM IST

रामगढ़ः जिले में कोरोना वॉरियर्स का हाल बेहाल है, इन्हें पिछले छह माह से वेतन नहीं मिला है. जिले के स्वास्थ्य विभाग में शिवा फाउंडेशन के जरिए करीब 350 महिला और पुरुष आउटसोर्सिंग के तहत जिले में कार्यरत हैं. ये सारे वर्कर जिले में जगह-जगह स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों और नर्सों के साथ इस कोरोना महामारी में मिलकर काम रहे हैं. ये आउटसोर्सिंग वर्कर जिले में स्वास्थ्य विभाग के हर क्षेत्र में अपना योगदान दे रहे हैं. चाहे सफाई का काम हो या आइसोलेशन या ड्रेसिंग का काम इनके लिए सबसे बड़ी बात यह है कि कोरोना जैसी महामारी के जंग में भी ये बढ़-चढ़ के काम कर रहे हैं.

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आउटसोर्सिंग वर्कर शीला कुमारी ने कहा की वे सभी फिलहाल कोरोना कोविड-19 में काम कर रहे हैं. उनका कहना है कि उन्हें सुरक्षा को लेकर सारी सुविधाएं दी जाएं साथ ही वेतन का भुगतान भी जल्द किया जाए ताकि वो अच्छे से काम कर पाएं. उनका कहना है कि वह लोग काम कर रहे हैं ताकि कोरोना वायरस को जड़ से हटाया जा सके.

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वहीं, आउटसोर्सिंग वर्कर पंचानंद कुमार ने कहा कि 6 महीने से उनलोगों को पेमेंट नहीं मिला है इसके बावजूद भी इस महामारी में वे लोग जुटे हुए हैं लेकिन वे अब भुखमरी की स्थिति पर आ गए हैं. उनके पास किट की व्यवस्था नहीं है. घर जाने की इच्छा है पर डर लगता है कि कहीं हमसे हमारे परिवार के लोग इंफेक्ट न हो जाएं.

डॉक्टर के लिए फूल और इनके लिए कुछ नहीं

आउटसोर्सिंग वर्कर का कहना है की उनको दुख इस बात का है कि महामारी में लड़ रहे हैं डॉक्टरों का फूलों स्वागत किया जाता है. लेकिन आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के लिए कुछ भी नहीं किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि पहले जो कंपनी थी भवानी उससे भी दो महीने का वेतन नहीं मिला है और अभी शिवा जो प्रेजेंट कंपनी है उसका भी 6 महीने में एक महीने का ही वेतन दिया गया है.

वहीं, सिविल सर्जन डॉ नीलम चौधरी कर्मियों को वेतन दिलाने में बहुत रुचि नहीं दिखा रही हैं. हालांकि जब उनसे पूछा गया तब उन्होंने कहा की हम लोग पूरी तरह से प्रयास कर रहे हैं और जल्द ही इसका समाधान हो जाएगा. ये वर्कर आर्थिक तंगी के बावजूद अधूरी सेफ्टी के साथ इस कोरोना जंग में वॉरियर्स के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्य है इन्हें कई महीनों से वेतन नहीं मिला है, लेकिन बात करते हुए इनके दर्द छलक जाते हैं. इस मामले में जब सिविल सर्जन से पूछा गया तो उनके अनुसार इनकी फाइल बढ़ा दी गई है जल्द ही इन्हें वेतन मिल जाएगा.

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