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Jharkhand News: सिक्योरिटी गार्ड की पुत्री ने रचा इतिहास, इंटर साइंस की स्टेट टॉपर बनीं दिव्या कुमारी - जैक रिजल्ट

किसी ने क्या खूब कहा है, कुछ किये बिना ही जय जयकार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है रामगढ़ की दिव्या कुमारी ने. जिसने 479 अंक लाकर इंटर साइंस में स्टेट टॉपर का मुकाम हासिल किया.

Divya Kumari of Ramgarh became state topper
Divya Kumari of Ramgarh became state topper

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Published : May 24, 2023, 7:03 AM IST

स्टेट टॉपर दिव्या कुमारी से बातचीत

रामगढ़ः कड़ी मेहनत के दम पर ही किसी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है, सही दिशा में मेहनत करने के बाद समय आने पर जो फल प्राप्त होता है वह बेहद सुकून भरा होता है. इसका जीता जागता उदाहरण पेश किया रामगढ़ जिला की एक छात्रा ने. इंटर साइंस में रामगढ़ की दिव्या कुमारी ने पूरे झारखंड में अपना परचम लहराया. गांधी मेमोरियल प्लस टू हाई स्कूल की छात्रा ने 479 अंक लाकर स्कूल के साथ-साथ माता-पिता और जिले का नाम रोशन किया है.

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मंगलवार को झारखंड एकेडमिक काउंसिल की तरफ से कक्षा इंटर साइंस का रिजल्ट जारी किया. झारखंड बोर्ड 12वीं साइंस में दिव्या कुमारी ने प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया है. दिव्या कुमारी को कुल 479 नंबर मिले हैं. दिव्या कुमारी गांधी मेमोरियल हाई स्कूल प्लस टू उच्च विद्यालय रामगढ़ की छात्रा है. दिव्या ने पूरे झारखंड में रामगढ़ का नाम रोशन किया है. बता दें कि दिव्या की माता सिलाई का काम करती हैं और पिता प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड है. दिव्या ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और स्कूल के शिक्षकों को दिया है. इसके साथ ही अपने घर के पास में रहने वाली भुरकुंडा मिडिल स्कूल की शिक्षिका चंदा सिन्हा को भी दिया.

डॉक्टर बनना चाहती हैं दिव्याःदिव्या कुमारी ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में बताया कि वो आगे की पढ़ाई कर डॉक्टर बनना चाहती हैं. डॉक्टर बनकर वो लोगों की सेवा करना चाहती हैं. अपनी पढ़ाई का जिक्र करते हुए दिव्या ने बताया कि वो अब तक कोचिंग क्लासेस नहीं की और ना ही कोई ट्यूशन लिया. लेकिन पड़ोसी चंदा मैडम से उसे काफी सहयोग मिला, कोई भी समस्या होती थी या पढ़ाई में किसी भी तरह की दिक्कत होती थी तो चंदा मैडम ने काफी सहयोग किया. मैडम ने मेरे सारे डाउट को क्लियर किया, इसी का नतीजा है कि मेरे इतने नंबर आए हैं. दिव्या कहती हैं कि सफलता का एक ही मूल मंत्र है, मेहनत और बस मेहनत.

दिव्या की माता की आंखों में खुशी के आंसूः दिव्या कुमारी की माता ने कहा कि वे काफी खुश हैं बेटी घर के कामों को करने के बाद दिन रात पढ़ाई करती रही. हम तो सुबह दुकान चले जाते थे, सिलाई करने के लिए और दिव्या के पिता ड्यूटी के लिए निकल जाते थे. दिव्या ही पिता को टिफिन देती थी और दोपहर का खाना भी दिव्या ही बनाती थी. घर का काम निपटाने के बाद वो पढ़ने बैठती थी, पढ़ने के दौरान जब डरती थी तब हम लोग बोलते थे कि जो होगा देखा जाएगा लेकिन पढ़ाई मत छोड़ना. माता ने बता कि हम लोगों ने कई बार कहा है कि ट्यूशन लगा देते हैं लेकिन घर की स्थिति देखकर दिव्या ने कभी ट्यूशन की बात नहीं की और केवल खुद से ही पढ़ाई की. इसकी इच्छा है कि वह डॉक्टर बने लेकिन हम इतने सक्षम नहीं हैं, इसीलिए सरकार से चाहते हैं कि दिव्या को अच्छी शिक्षा दिलाई ताकि वह समाज के लिए कुछ कर सके.

दिव्या के पिता श्लोक बिहारी रामा ने कहा कि इस सफलता का सारा श्रेय दिव्या को ही जाता है क्योंकि उसने दिन-रात पढ़ाई करके ये मुकाम पाया है. पिता सरकार से मांग करते हुए कहते हैं कि हम चाहते हैं कि उसने जो सपना देखा है वह पूरा हो, लेकिन हम सरकार की ओर आस लगाए बैठे हैं कि मेरी बेटी का सपना पूरा हो सके.

दिव्या कुमारी के घर के पास में रहने वाली शिक्षिका चंदा सिन्हा ने कहा कि मैंने नहीं पढ़ाया केवल गाइड किया है. ये दिव्या की मेहनत का फल है कि उसने आज स्कूल ही नहीं रामगढ़ जिले के साथ साथ झारखंड का नाम रोशन किया. चंदा बताती हैं कि अगर दिव्या को सपोर्ट मिलेगा तो दिव्या राज्य ही नहीं बल्कि विदेशों में भारत का नाम रोशन करेगी.

स्टेट टॉपर होने का श्रेय मिलने से स्कूल के प्राचार्य काफी खुश नजर आए. उन्होंने कहा कि दिव्या की मेहनत का ही परिणाम है कि उसने स्कूल, जिला का नाम पूरे स्टेट में रोशन किया है. उन्होंने कहा कि आगे भी दिव्या के सपने साकार हो ऐसी मुझे उम्मीद है और सरकार से उम्मीद है कि प्रतिभावान छात्रों को सुविधा मिलनी चाहिए. जिससे वो जिस फील्ड में जाना चाह रहे हैं, उनका सपना पूरा हो सके.

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